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my story
आज मेरी जिंदगी के बीस साल पूरे हो गए है लेकीन सच में इस बीस साल की ज़िंदगी मे कुछ हासिल नहीं किया मेने न किसी के लिए खास हूं और न कोई समझ रहा
मे आपको अपनी कहानी शुरू से बताती हूं बचपन के किस्से किसी को याद नही होते जो सुना हे उसके आधार पर मेरे जन्म से हि कोइ खुश नही था मम्मी कहती है बहुत लड़ाई भी हुई थी
बचपन से हि एक डर था मुझे समाज से
मे स्कूल मे ही एक सामान्य लड़की की तरह थी न मेरे कोई दोस्त रहे है जो थे भी बस नाम के थे मैने कभी भी अपने बचपन को खुल कर नही जिया कुछ याद तो नही है हा लेकिन जब दस साल की हुई जब से ज़िंदगी ने एक ऐसा बोझ डाला मुझ पे जो कभी सोचा ही नही और अभी दस से साल हो गया लेकिन अब मे हार चुकी हूं थक गई हूं शायद ये बोझ मेरी किस्मत मे था लेकिन इसने मुझ से मेरा बचपन छीन लिया मुझे खुद से ही नफ़रत होने लग गई
पता है मानती हूं की मेने कुछ करना भी नही चाहा ज़िंदगी मे लेकिन इस बोझ ने करने भी नहीं दिया कुछ
जैसे जैसे जिंदगी मे बड़ी हुई ये बोझ और गहरा होता चला गया
ऐसा लगता है दिल से साथ किसी का लिखा हि नही सब छोड़ कर चले गए रिश्ते के नाम मजाक बन गई है
कृष्णा जी को बहुत बार पुकारा उन्होंने भी नही सुनी एक बार आ कर समझा जाते तो कोई वजह जीने का बता जाते नही आ रहे अब जाना चाहती हु बहुत दूर
© dolly jha