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मां का घर
मम्मी बताती है कि वह जब उम्र में छोटी थी, तब घरेलू कामों के अलावा पढ़ाई में भी खुब रुचि लेती थी। यद्यपि मम्मी की छोटी बहन अर्थात मौसी मम्मी के जितना पढाई में रूचि नहीं रखती थी। मतलब मौसी पढ़ाई में बिल्कुल ही ठप ( जीरो) थी। और खाने के मामले में सबसे आगे यानी कि हीरो थी।

खैर, मम्मी इतनी पढ़ी नहीं है किन्तु फिर भी वह अंग्रेजी तक पढ़ने का जज्बा रखती है। यहां तक इस मामले में तो मम्मी मुझे भी पीछे छोड़ देती है।

हालांकि डाक्यूमेंट्स के आधार पर वह केवल पांचवीं तक पढ़ी है। किंतु मम्मी खुद मुझे बताती है कि वह आठवीं तक पढ़ी है । खैर, छोड़िए उस वक्त इतना सब पढ़ पाना भी बहुत बड़ी बात हो जाता है अपितु आज के दौर के मुकाबले।

मगर उस समय अपने घर में ( मेरे नाना के घर ) सबसे ज्यादा होशियार व प्रतिभाशाली थी।

मेरे नाना जी के घर में वह कुल सात सदस्य थे (भाई-बहन समेत)।