आज की कहानी, मेरे हमसफ़र की..
आज हर रोज़ जैसा ही था, सवेरे उठा, जो विचार मन में रात भर परेशान कर रहे थे, उन्हें मन नहीं था मेरा और ढोने का। समय निकाल कर काग़ज़ पर उतार रहा था, एक पल ऐसा भी आया, जब मैं अपने ही विचार के उधेड़ बुन में कब खो गया था पता ही नहीं चला, तभी अचानक फ़ोन बजा, देखा तो उसका फ़ोन था। उसके फ़ोन का इन्तज़ार तो मुझे ना जाने कितने दिनों से था, आख़री बार मुझे याद है, उसने मुझे जन्मदिन पर बधाई देने के लिए किया था। उसकी आवाज़ सुनी, ना जाने ऐसा महसूस हुआ जैसे कि मेरी आत्मा शरीर...