चाय पे चर्चा
#वोट
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे थे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही थी। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी।
(राजेश सब से पूछते हुए)
राजेश -: और भाइयों तुम किसे वोट दोगे?
पंकज -: मैं तो विराज जी को ही वोट दूंगा, पता है,वो हमारे गांव के हैं।
राजेश -: मैं तो यश जी को वोट दूंगा, अरे भाई इतने अच्छे कलाकार हैं क्या देश नहीं चला पाएंगे उनके तो नाम में ही यश है उन्हें तो सफलता मिलेगी ही।
दिपक -: मैं तो आ.से. पार्टी ( आपकी सेवक पार्टी) के उम्मीदवार को ही वोट दूंगा, हमारा पूरा परिवार हमेशा उस ही पार्टी को वोट देता है।
आकाश -: मैं तो किसी को भी वोट नहीं दूंगा, सब एक जैसे हैं भेड़ की खाल में भेड़िये, वोट के दिन छुट्टी होती है, सोच रहा था अपने परिवार को मनाली घुमाने ले जाओ।
पंकज -: अरे भाई! ऐसे मत करना, तुम अपना वोट विराज जी को दे दो, वो बहुत अच्छे इंसान हैं।
दिपक -: तुम आ.से. पार्टी को ही वोट देना, वो इतने सालों से राजनीति में है आखिर अच्छी ही होगी ना पार्टी
( इस प्रकार सभी लोग आकाश को अपनी- अपनी पसंदीदा उम्मीदवार एवं पार्टी को वोट देने के लिए मनाने लगे। बात इतनी बढ़ गई कि लग रहा था मारपीट शुरू हो जाएगी)
(बनवारी लाल जी चाय की चुस्की लेते हुए अकबर जोर से पढ़ने लगे)
बनवारी लाल -: वोट देते समय इन तीन बातों का ध्यान रखें
१. अपना वोट उम्मीदवार या पार्टी को उनकी काबिलियत और कार्यक्षमता का आकलन के अनुसार दे, नाम की इस बात पर कि वो
कहां से आए हैं या कौन है।
२. आप किसे वोट देने वाले हैं यह बात गुप्त रखें तकी कोई भी आपको अपना मत बदल ने के लिए मजबूर ना करें।
३. यदि आपको लगता है कि कोई भी उम्मीदवार सही नहीं है तो कृपया नोटा (None Of The Above) का बटन दबाएं।
आपका एक वोट देश का भविष्य निर्धारित करता है इसे व्यर्थ ना जाने दे।
( फिर बनवारी लाल ने चाय की आखिरी चुस्की ली और चाय वाले को पैसे देकर निकल गए, सबकी नजरें शर्म से झुक गई और चाय की टपरी पर सन्नाटा छा गया।)
© Hidden Writer
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे थे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही थी। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी।
(राजेश सब से पूछते हुए)
राजेश -: और भाइयों तुम किसे वोट दोगे?
पंकज -: मैं तो विराज जी को ही वोट दूंगा, पता है,वो हमारे गांव के हैं।
राजेश -: मैं तो यश जी को वोट दूंगा, अरे भाई इतने अच्छे कलाकार हैं क्या देश नहीं चला पाएंगे उनके तो नाम में ही यश है उन्हें तो सफलता मिलेगी ही।
दिपक -: मैं तो आ.से. पार्टी ( आपकी सेवक पार्टी) के उम्मीदवार को ही वोट दूंगा, हमारा पूरा परिवार हमेशा उस ही पार्टी को वोट देता है।
आकाश -: मैं तो किसी को भी वोट नहीं दूंगा, सब एक जैसे हैं भेड़ की खाल में भेड़िये, वोट के दिन छुट्टी होती है, सोच रहा था अपने परिवार को मनाली घुमाने ले जाओ।
पंकज -: अरे भाई! ऐसे मत करना, तुम अपना वोट विराज जी को दे दो, वो बहुत अच्छे इंसान हैं।
दिपक -: तुम आ.से. पार्टी को ही वोट देना, वो इतने सालों से राजनीति में है आखिर अच्छी ही होगी ना पार्टी
( इस प्रकार सभी लोग आकाश को अपनी- अपनी पसंदीदा उम्मीदवार एवं पार्टी को वोट देने के लिए मनाने लगे। बात इतनी बढ़ गई कि लग रहा था मारपीट शुरू हो जाएगी)
(बनवारी लाल जी चाय की चुस्की लेते हुए अकबर जोर से पढ़ने लगे)
बनवारी लाल -: वोट देते समय इन तीन बातों का ध्यान रखें
१. अपना वोट उम्मीदवार या पार्टी को उनकी काबिलियत और कार्यक्षमता का आकलन के अनुसार दे, नाम की इस बात पर कि वो
कहां से आए हैं या कौन है।
२. आप किसे वोट देने वाले हैं यह बात गुप्त रखें तकी कोई भी आपको अपना मत बदल ने के लिए मजबूर ना करें।
३. यदि आपको लगता है कि कोई भी उम्मीदवार सही नहीं है तो कृपया नोटा (None Of The Above) का बटन दबाएं।
आपका एक वोट देश का भविष्य निर्धारित करता है इसे व्यर्थ ना जाने दे।
( फिर बनवारी लाल ने चाय की आखिरी चुस्की ली और चाय वाले को पैसे देकर निकल गए, सबकी नजरें शर्म से झुक गई और चाय की टपरी पर सन्नाटा छा गया।)
© Hidden Writer
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