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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में है।।
जिसके बाद उसकी योनि व चूत उसके स्त्रीत्व व नारीत्व की आसीमता को उसके लन्ड के मलभोग को वीर्य को भोग स्वरूप पाकर भी संभोग ना कर यौन करती जिसके लिए वह "अपने अस्तित्व का सौदा अपनी इज्जत तथा समर्पण का समझौते से तथा प्रेम का प्यार से सथाई का अस्थाई तथा वासना का हवस को हवस से सम्पन्न करती जिसके बाद लेखक के मनत्वय के इस काल्पनिक गाथा की उपज उत्पन होती है।।
जिसमें जिसके लेखक इस गाथा में उस गाथा के सभी स्तंभों की खोज व निर्माण पर समय के रूपांतरण से चलता हुआ वह किसी योनि तथा चूत में प्रवेश इच्छा व स्वार्थ बनकर तथा उस लन्ड के द्वारा एकटक मंशा लोभ की होना ही इस गाथा में स्तंभों का निर्माण तथा उल्लेख करती है जो कि कुछ इस प्रकार से है -
🔴 प्रेम=प्यार 🔴अस्तित्व=इज्जत 🔴 वीर्य=मय🔴 स्थाई=अस्थाई 🔴 लन्ड=चूत, योनि 🔴यौन=सम्भोग 🔴वासना=हवस🔴 नारित्व=स्त्रीत्व 🔴 समझौता=समर्पण ।।
#केन्दबिंदु🪔