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दोस्ती एक बंधन प्यार का
आज मैं आपके समक्ष कुछ ऐसी ही कहानी लेकर आई हूं
जो मित्रता पर आधारित है यह कहानी है लखीमपुर की एक किसान और बंदर की
जो काफी अच्छे मित्र थे
इन दोनों की मित्रता की शुरुआत
एक रोटी के टुकड़े से हुई
एक दिन की बात है कि किसान अपने खेत पर जा पहुंचा जब वह खाना खा रहा था तभी उसकी नजर पास बैठे बंदर पर पड़ी वह अपने भोजन में से रोटी का एक टुकड़ा बंदर को दे देता है बंदर उस रोटी को खाकर चला जाता है
दूसरे दिन फिर वही बंदर उसी जगह बैठा मिलता है
किसान फिर दोबारा से उसको अपने भोजन से एक रोटी निकल कर उसको फिर दे देता है
धीरे-धीरे बंदर और किसान की अच्छे से जान पहचान हो जाती है
धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र बन जाते हैं
अब हर रोज किसान और बंदर दोनों बैठकर एक साथ भोजन करते हैं
भोजन करने के बाद वही बंदर डालो पर उछल कूद करता रहता दोनों ही अपना मस्त होकर जीवन यापन कर रहे थे
एक दिन की बात है कि दुर्भाग्य बस किसान की मौत हो जाती है
किसान के ना आने पर बंदर बहुत परेशान हो जाता है
बंदर किसान को खोजता हुआ उसके घर पर आ जाता है
जहां किसान का मृत शरीर पड़ा हुआ था और उसके चारों तरफ उसके परिजन बैठे हुए थे जो सभी किसान की मृत्यु से दुखी होकर रो रहे थे
बंदर एकाएक उस भीड़ को चीरता हुआ आगे
बढ़ता है और जाकर किसान के ऊपर से कफन हटाकर उसको देखने लगता है
किसान को मरा देखकर वह जमीन पर लेट कर रोने लगता है
वहां पर बैठे सभी लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं कि इस बंदर को कैसे पता चल गया कि यह किसान मर गया है
और वह किसान की मौत के कारण कितना
दुखी हो रहा है
जानवर भी प्यार की भाषा समझते हैं
उसने आखिरी वक्त तक अपने दोस्त का साथ दिया
यह होती है दोस्ती
प्यार की भाषा एक ऐसी भाषा होती है जिस भाषा में इंसान क्या जानवर क्या भगवान क्या सभी इसी के बंधन में बध जाते हैं इससे कोई अछूता नहीं रह सका ।।
© Mamta