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प्रमोशन
जीत के लिए कोशिश करना अच्छी बात है ।
मग़र जीत पे सिर्फ मेरा ही नाम लिखा है
ऐसी सोच कभी बिल्कुल ग़लत है।
ऐसी सोच कभी नहीं रखनी चाहिए...
आज प्रमोशन का अनाउंसमेंट होने वाला था।तो सभी कर्मचारी अपने निश्चित समय से थोड़ा पहले ही कन्फेशन रूम में उपस्थित हो गए थे और उत्सुकता से अनाउंसमेंट की राह देख रहे थे। जैसे ही मीटिंग स्टार्ट हुआ बास ने सबसे पहले विवेक का नाम लिया विवेक ट्रेनिंग मैनेजर से
ए जी एम बन गया था।पूरे आफिस में खुशियों का माहौल हो गया था। विवेक बहुत ही कर्मठ,जुझारू और इमानदार
कर्मचारी हैं।वो अपने काम से कभी समझौता नहीं करता है। फिर चाहे उसे उसके लिए कोई भी कीमत क्यों ना चुकाना पड़े.....सभी लोग विवेक को बधाईयां दे रहे थे।
विवेक भी बहुत खुश हुआ प्रमोशन पाकर कयी सालों से उसे इस दिन का इंतजार था।
लगभग 7 साल हो गए थे विवेक को इस कंपनी में काम करते हुए। इन 7 सालों में कई लोगों का प्रमोशन हो चुका था। यहां तक विवेक के बाद जिन लोगों ने ज्वाइन किया था उनके भी प्रमोशन हो चुके थे। मगर विवेक का प्रमोशन एक बार भी नहीं हुआ था। जब कभी वह अपने सीनियर से इस विषय में बात करता तो हर बार उसके सीनियर उसकी बात को टाल देते। एक बार तो उसके एक सीनियर ने उससे यहां तक कह दिया कि देखते हैं तुम्हारा प्रमोशन कैसे होता है...??
जिसको सुनकर विवेक को बहुत बुरा लगा था और उसने कंपनी छोड़ने का निर्णय ले लिया था।
मगर फिर वो अपने परिवार वालों के कहने से रुक गया था।
वो कहते हैं ना कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं..??
स्वयं पर संयम रखकर विवेक ने लगातार कई सालों तक कड़ी मेहनत की तब जाकर आज उसे यह प्रमोशन का सौगात मिल पाया था।
जहां एक ओर आफिस में सभी खुशियां मना रहे थे मिठाइयां खा रहें थे और खिला रहे थे..!!
वही दीपक उसी आफिस का एक कर्मचारी प्रमोशन नहीं मिलने की वजह से बहुत दुखी और उदास हो गया था। इतना दुखी कि उसे अस्पताल ले जाना पड़ा...!!
उसकी सांसें फूलने लगी ,धड़कनें तेज हो गई।
उसने ऑफिस में ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि सब सोच में पड़ गए।
डॉक्टरों ने उसे 48 घंटे निगरानी में रखा सारे टेस्ट वगैरह करने के बाद दीपक को डॉक्टर ने खुश रहने की सलाह दी...!
बाद में उसके मैनेजर ने उसे संतावना देते हुए कहा कोई नहीं अगले साल तुम्हारा भी हो जाएगा प्रमोशन...
इसके लिए इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है क्या बच्चों जैसी हरकत करते हो...??
तुम्हारी इस हरकत से विवेक को कितनी तकलीफ हुई होगी इसका अंदाजा भी है तुम्हें...??
तुम लोग तो कॉलीग्स हो ना एक साथ ही रहते हो काम करते हो और फिर एक दूसरे के तरक्की से इतनी जलते हो...?? सॉरी सर मैंने जानबूझकर नहीं किया...??
बस इस तरक्की पर मैंने ग़लती से अपना नाम लिख दिया था। तरक्की के लिए कोशिश करना अच्छी बात है किंतु तरक्की मेरा ही हो यह सोच रखना बहुत गलत बात है..!
अब मुझे समझ आ गई है अब आगे से ऐसा कभी नहीं होगा। दूसरों का बुरा चाहने वालों का स्वयं ही बुरा हो जाता है।अब मेरा ही देख लीजिए मैं विवेक की तरक्की से खुश नहीं हुआ। तो ईश्वर ने उसकी सजा मुझे दे दी मेरी इतनी तबीयत बिगड़ गई और मेरी वजह से आप सभी को इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ा ।उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूं। कृप्या आप सभी मुझे माफ कर दीजिए और मैं विवेक से भी जाकर माफी मांगता हूं।
विवेक आई एम सॉरी यार मुझे माफ कर दे..!!
मैं थोड़ी देर के लिए स्वार्थी हो गया था मैं तुम्हारी खुशियों के पल में विघ्न उत्पन्न कर दिया।मुझे माफ कर दो ।मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। मगर अनजाने में ही सही मुझसे गलती हो गया....!!
और विवेक ने दरिया दिली दिखाते हुए दीपक को गले से लगा लिया...।
किरण