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NIKKU chapter no.17
छठ मैं जब अपने गाँव गया लेकिन मुझे हर वक़्त अपने दोस्तो की ही याद आ रही थी ,निक्कू की तो ओर ज्यादा पर क्या कर सकते थे

याद तो बहोत आ रही निक्कू
तुम याद भी आती हो तो हम चुप रहते है
की कही आंखों को खभर हो गयी तो बेवजह बरस पड़ेंगी।

दिन गुज़र रहे थे ,एक दिन क्या हो गया ये व्हाट्सएप्प पे मेसेज मैं फॉरवर्ड कर रहा था और न जाने गलती से वो मेरे कॉलेज के ग्रुप मैं चला गया जहाँ बच्चे तो थे ही पर शिक्षक भी थे मैने ध्यान नही दिया और अचानक मैसेज आने लगा वो तो अच्छा हुआ की नीतेश का कॉल आ गया मुझे, ओर मैं जल्दी से डिलीट कर दिया मैं पूरा डर गया था न जाने अब क्या होगा,मैंने नीतेश को बताया बोला भाई तुम लोग बचा लो मुझे पता नही अब क्या होगा।।बोला अरे कुछ नही होगा
मैंने बोला ठीक है तुम लोग ही मैनेज करो,फिर कुछ देर बाद ही रूपेश का कॉल आया फिर उससे बात की यही सब के बाड़े में उसी समय से मेरी ओर रूपेश की जान पहचान अच्छी हो गयी थी,वेसे भी वो बिहारी लोग को बहोत प्यार करता था ,ओर मैं भी एक बिहारी ही था ,फिर यही सब बात हुई।।
धीरे धीरे समय गुज़रा ओर मैं दिल्ली आने को रेडी हो चुका था क्योंकि छठ भी खत्म हो चुकी थी,
फिर मैं दिल्ली आ गया ,ओर पता चला कि हमारा मैन प्रैक्टिकल है 1 सप्ताह बाद ओर उसी बीच मैं हमलोग का मिड सेम 2 भी था पढ़ा तो कुछ भी नही था, अब करते क्या पर हमारे सीनियर्स ने हमे ये बता के रख था कि दोनों मैं से जिसमे ज्यादा नंबर आये होंगे वो जाएगा तो वेसे भी 1 मिड सेम मैं पास था तो सोचा मैन प्रैक्टिकल पे ध्यान दिया जाए ओर हमलोग रात भर मेहनत कर के पूरा प्रैक्टिकल बनाया और फिर एग्जाम देने गए पर मन तो नही था न शिवम गया था ओर 1 दो बच्चा पर सब गए थे तो बिना पढ़े मैं भी चला गया,एग्जाम शुरू हो गए थे और मुझे कुछ आ भी नही रहा था ,क्या कर सकते थे वो कहते ह न जो अगर मन अगर फैसला ले ले वही होता है तो मेरा मन ये फैसला लिया कि परीक्षा नही देना है,पर निकलू तो निकलू कैसे फिर एक प्रस्न था कि उसमें हार्ट का चित्र बनाने था पर हम ठहरे मोह्ब्बत के इंसान ,एग्जाम मैं भी निक्कू को ही देख रहा था,ओर निक्कू तो ठहरी पढ़ने वाली वो लिखे जा रही थी और मैं देखे जा रहा था उसे ओर क्या कर सकता था,
तेरा नाम था आज मेरे जुबान पर,
बात जरा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया
फिर क्या तेरा चेहरा न सही
पर तेरा ओर अपना दिल ही
अपने कॉपी पे उतार दिया
मैने दिल बना लिया पर नाम न लिख सका,माली सर ने मुझे पकर लिया और फिर क्या था मेरा कॉपी पूरे क्लास के सामने दिखा दिया ओर बोले बेटा जब दिल बना ही लिए थे तो नाम भी लिख देते,पर मैं नाम कैसे लिख सकता था।।
फिर आखिर मैं चला गया मैं ओर रूम मैं जाकर आराम से सो गया।।
ओर मैंने आखिरी मैं फैसला लिया मिड सेम नही देना है और मेरे दोस्तो ने भी साथ दिए फिर हमलोग नही दिए ,प्रैक्टिकल लिखने लगा,ओर जिस दिन प्रैक्टिकल का एग्जाम था उस दिन उन सभी बच्चो को निकाला गया जिनके नंबर कम थे और जो एग्जाम ही नही दिए थे ,उनमे मैं भी एक शख्स था आखिरी मैं फैसला लिया गया कि एक ओर एग्जाम होगा उन बच्चो के लिए जो कि नही दिए है, उसके बाद प्रैक्टिकल शुरु हो गया ,ओर इनमे सबसे ज्यादा मेरी मदद नितेश करता था ,,
ओर वो वक़्त भी आ गया था कि मैं निक्कू के पूरा करीब था और उससे खुल कर बातें करने लगा ,क्योंकि उसका रोल नंबर मेरे ही पास था हमलोग बहोत मस्ती करते थे,ओर एक दूसरे की मदद भी,,प्रैक्टिकल भी बीत गया,अब असल परीक्षा तो अब आने वाली थी,
निक्कू पूरा पढ़ रही थी,ऐडमिट कार्ड भी उसका मैं ही ला देता था ताकि उसे पढ़ने मैं कोई दिक्कत न हो मैने वो हर कोशिस की जिनसे वो खुस रह सके।।
क्योंकि निक्कू की खुसी मेरे लिए ज्यादा इम्पोर्टेन्ट थी।।
ये शायद प्यार का पहला कदम था जो कि मेरे दिल मे उठने लगी थी,,
यूं आये जिंदगी में कि ख़ुशी मिल गई,
मुश्किल राहों में चलने की वजह मिल गई,
हर एक लम्हा खुशनुमा बना दिया,
मेरी उम्मीद को नई मंजिल मिल गई।
ओर शायद यही से मेरे एक नया मकाम मिला कि निक्कू की खुसी की वजह मैं बनु उसकी एक मुस्कुराहट की एक पहचान बनु।।



To be continued.........