...

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मेरा बचपन.
कैसे हो आब सभी लोग! हा मुझे यह बात जरूर जरूर कर नी है की, कैसे हम पाठशाला के पहले दिन सभी लोग रोते थे. वह पाठशाला की छूठी हो जाने से सभी लोग के चहरे पर बस खुशियाँ दिखाय दिति है, जैसे की सभी को जन्नत मिल गई हो.
हा, आब सभी को तो वही छोटी-छोटी बात पर झगड़ते हुए भाई-बहन का रिश्ता. कभी भाई बहन से झगड़ता तो फिर कभी एक हो कर काम कर ते थे. बचपन मैं हम छोटी चडी पहन के पाठशाला जाना. सभी मित्रो एक साथ रहते, एक साथ खेल ते. उस समय टीचर से सभी लोग डरते थे. बचपन मैं एक आम्ब्ली के लिए हम पेड पर कितने पत्थर मार ते थे तब हमें सिर्फ एक आँब्ली मिलती थी.
दीपावली के छूठी के दिन कोई अपने गाँव, नाना-नानी के घर, कोई घूमने जाते थे. दादा-दादी हमें वही राजा-रानी और चिड़िया के बारे मैं कहानी सुनाते थे. वह बचपन के दिन की मजा कुछ अलग थी. सभी परिवार के सदस्यों शाम को खाने के बाद सभी लोग एक साथ बैठ ते थे और गप्पे लगाते थे.
आज सभी लोग के पास android phone आगया है. बस सभी लोग अपने काम मैं ही व्यस्त रह ते है. कोई mobile phone मै व्यस्त रह ता है तो कोई अपने office के काम मैं व्यस्त रहता है. इस android फोन ने परिवार के सदस्य बिच दूरिया बनादि है.
"एक आँब्ली के लिए तड़पता दिल,
आज मोबाइल फ़ोन मैं व्यस्त है.
बस हमें एक बार लोटादो,
हमारा वही सुनहरा बचपन
और वही कागज की नाव और बरसात का पानी."

by:- mr.italiya_king
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