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प्यार छोटा बड़ा देखकर नहीं इंसान को देखकर होता है।
इस कहानी की शुरुआत होती है कॉलेज में पढ़ने वाली एक लड़की से जो रोज बस से सफर करके अपने कॉलेज जाते थी। लगभग एक साल बस से सफर करते-करते लड़की को एक बस कंडक्टर से प्यार हो जाता है।उनके प्यार में दिक्कत ये थी कि दोनों ने कभी भी एक दूसरे को बताया नहीं कि वह एक दूसरे को चाहते हैं। कंडक्टर ने कभी कभार इशारा किया भी लेकिन लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि लड़के तो अपनी बात कहने में बहुत ही सहज होते हैं।कहीं भी कुछ भी बोल देते हैं लेकिन लड़कियां थोड़ा सा शर्माती हैं समाज का लिहाज करती हैं इसलिए लड़की ने कभी जवाब नहीं दिया लेकिन मन ही मन वो उसको बहुत ज्यादा चाहती थी। लड़की ने अपने प्यार का इजहार शायद इसलिए नहीं किया होगा क्योंकि उसने अपने समाज से हटकर एक अलग प्रकार के व्यक्ति से प्यार कर लिया था तो उसे कहीं ना कहीं डर था कि पता नहीं उसे समाज अपनाएगा या नहीं कहीं उसकी वजह से उसके मां-बाप का सर दुनिया के आगे झुक न जाए। कंडक्टर ने कई बार इशारा किया लेकिन लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया। वह भी बेचारा क्या करता जब बंदा किसी को पसंद करता है और सामने वाले से कोई रिप्लाई नहीं मिलता है तो कोई क्या कर सकता है।कुछ दिनों बाद लड़की की कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो गई। उसका बस से आना जाना बंद हो गया,लेकिन उसके दिल में उस कंडक्टर के लिए प्यार अभी भी था। वह अभी भी उसके बारे में सोचती थी क्योंकि वह उसके दिल में था और दिल से किसी को निकालना इतना आसान नहीं होता है। लड़की ने मात्र उस कंडक्टर को देखने के लिए उसी रास्ते पर एक कोचिंग ज्वाइन कर ली जिस रास्ते से होकर उसकी बस गुजरती थी। जब इतना प्यार करती थी लड़की तो शायद एक बार कह कर देख लेती उनको कुछ ना कुछ रास्ता मिल ही जाता। कुछ दिनों बाद लड़की की शादी तय हो जाती है, और वह शादी कर भी लेती है लेकिन किसी को नहीं बताती है, कि वह एक बस कंडक्टर से प्यार करती थी।शायद लड़की ने किसी को एक बार बता दिया होता और यदि उसके घरवालों ने और समाज ने उसे और उसके प्यार को अपना लिया होता तो शायद समाज के लिए वो एक मिसाल होती कि प्यार छोटा बड़ा देख कर के नहीं इंसान देख कर उसके व्यवहार को देखकर किया जाता है।
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