शर्त बड़ी हवेली के बगीचे से आम लाना
#शर्त
(भाग एक)
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।आनंद आज मन ही मन बहुत खुश था वह कई बार चंदन से शर्त हार गया आज बमुश्किल चंदन को उसने ऐसा फंसा दिया था
कि जैसे उसे शर्त हारना ही था। हाथी के मुंह से गन्ना कौन ले सकता है,ऐसा ही था बड़ी हवेली के बाग से आम लाना । ठाकुर रंजीत सिंह का घराना शहर के बहुत ही रईस घराना था। लोग
उनका नाम सुनकर कांप जाते थे। उनके परिवार के किसी व्यक्ति तो दूर उनके नौकर चाकर से कोई आंख उठा के शहर में बात नहीं करता था । उनके बगीचे से दस आम तो दूर कोई आम का पत्ता तक तोड़ने की जुर्रत नहीं
कर सकता था ।
चंदन ने शर्त तो आनंद से लगा दी लेकिन वह बैठा सोच रहा था कि बड़ी हवेली के बगीचे से
वो कैसे आम ले आये। ठाकुर की हवेली को जो सड़क शहर से जाती थी वहाँ बैरियर लगा हुआ था वहाँ बिना रजिस्टर में कार्य दर्ज कराये उस सड़क से गुजर नहीं सकता था। मेज पर अखबार पड़ा हुआ था विज्ञापन पर उसकी नज़र पड़ी ठाकुर रंजीत सिंह की हवेली में एक नृत्य कला में निपुण कलाकार तबला वादक टीचर की आवश्यकता है जो उनकी
बेटी कुमकुम सिंह को नृत्य सिखा सके तुरंत
संपर्क करें । उस समय यह मोबाइल का युग नहीं था चंदन का...
(भाग एक)
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।आनंद आज मन ही मन बहुत खुश था वह कई बार चंदन से शर्त हार गया आज बमुश्किल चंदन को उसने ऐसा फंसा दिया था
कि जैसे उसे शर्त हारना ही था। हाथी के मुंह से गन्ना कौन ले सकता है,ऐसा ही था बड़ी हवेली के बाग से आम लाना । ठाकुर रंजीत सिंह का घराना शहर के बहुत ही रईस घराना था। लोग
उनका नाम सुनकर कांप जाते थे। उनके परिवार के किसी व्यक्ति तो दूर उनके नौकर चाकर से कोई आंख उठा के शहर में बात नहीं करता था । उनके बगीचे से दस आम तो दूर कोई आम का पत्ता तक तोड़ने की जुर्रत नहीं
कर सकता था ।
चंदन ने शर्त तो आनंद से लगा दी लेकिन वह बैठा सोच रहा था कि बड़ी हवेली के बगीचे से
वो कैसे आम ले आये। ठाकुर की हवेली को जो सड़क शहर से जाती थी वहाँ बैरियर लगा हुआ था वहाँ बिना रजिस्टर में कार्य दर्ज कराये उस सड़क से गुजर नहीं सकता था। मेज पर अखबार पड़ा हुआ था विज्ञापन पर उसकी नज़र पड़ी ठाकुर रंजीत सिंह की हवेली में एक नृत्य कला में निपुण कलाकार तबला वादक टीचर की आवश्यकता है जो उनकी
बेटी कुमकुम सिंह को नृत्य सिखा सके तुरंत
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