कण कण में भगवान
@Godexistence
© Godparticle
आश्चर्य किंतु सत्य है
कैसे इसे जानने के लिए कुछ पल भी कम है और पूरा जीवन भी कम है।
फिर भी अपने कुछ अज्ञानता के अंधकार को दूर करने वाले प्रकाश से आपको मिलवाता हूँ।
काफी पुस्तके और सत्संग टी वी के कार्यक्रम देखे कई मंत्रो को भी उच्चारण किया, ध्यान भी अपने मन चित को एकाग्र करने ले लिए करता रहता हूँ। नींद पे किसी का बस नही होता, परंतु जितना सोता हूँ काफी है, कभी 12 बजे सो जाता हूँ, कभी नही भी 4 बजे ध्यान लगता हूँ मस्तक के केंद्र से आकाश गंगा के बीच से प्रकाशमान सुरंग से मानो दूर निकलता जाता हूँ। कभी थोड़ा धीमा हो जाता है मन कभी ऐसी गति जिसका आंकलन भी नही कर पाता हूँ।
ऐसा भी हुआ जीवन में जब किसी के समक्ष बात करते हुए उसके बारे में कुछ बता दिया या कुछ होने वाला है सावधान कर दिया, तो वो शख्स अचंभित हो जाता था। मुझे भी नही पता ऐसा क्यों होता पर इसे मैं ईश्वर ला आशीर्वाद मान खुश हो जाता हूँ।
सत्य यह है कि बिना ईश्वर ले अस्तित्व के कही भी कोई जीवन स्पंदन नही है और ये भी सत्य ही कि ऐसी कोई जगह नही जहाँ जीवन न हो, ग्रहो की गति हो चाहे सूर्य का प्रकाश और उससे फूलने फलने वाले जीव, जंतु, पौधे, वायु, जल, यानी पंच तत्व लेह लीजिये जो मुख्य आधार है। आपको यह भी हो सकता है कि सब बातें बिना साक्ष्य के बेमानी प्रतीत होती हो। सही भी है बिना चमत्कार के मनुष्य का मन नमस्कार भी नही करता, यदि हम मनुष्यों के सामने ईश्वर आ भी जाये तो भी हमारा मन मानता नही जब तक हमे उनसे मांगने पे कुछ प्राप्त नही हो जाता। तीर्थ स्थान पे जाने वाले भक्त जब ईश्वर के समक्ष हाँथ जोड़ प्रार्थना कर कुछ मांगता है तो...
© Godparticle
आश्चर्य किंतु सत्य है
कैसे इसे जानने के लिए कुछ पल भी कम है और पूरा जीवन भी कम है।
फिर भी अपने कुछ अज्ञानता के अंधकार को दूर करने वाले प्रकाश से आपको मिलवाता हूँ।
काफी पुस्तके और सत्संग टी वी के कार्यक्रम देखे कई मंत्रो को भी उच्चारण किया, ध्यान भी अपने मन चित को एकाग्र करने ले लिए करता रहता हूँ। नींद पे किसी का बस नही होता, परंतु जितना सोता हूँ काफी है, कभी 12 बजे सो जाता हूँ, कभी नही भी 4 बजे ध्यान लगता हूँ मस्तक के केंद्र से आकाश गंगा के बीच से प्रकाशमान सुरंग से मानो दूर निकलता जाता हूँ। कभी थोड़ा धीमा हो जाता है मन कभी ऐसी गति जिसका आंकलन भी नही कर पाता हूँ।
ऐसा भी हुआ जीवन में जब किसी के समक्ष बात करते हुए उसके बारे में कुछ बता दिया या कुछ होने वाला है सावधान कर दिया, तो वो शख्स अचंभित हो जाता था। मुझे भी नही पता ऐसा क्यों होता पर इसे मैं ईश्वर ला आशीर्वाद मान खुश हो जाता हूँ।
सत्य यह है कि बिना ईश्वर ले अस्तित्व के कही भी कोई जीवन स्पंदन नही है और ये भी सत्य ही कि ऐसी कोई जगह नही जहाँ जीवन न हो, ग्रहो की गति हो चाहे सूर्य का प्रकाश और उससे फूलने फलने वाले जीव, जंतु, पौधे, वायु, जल, यानी पंच तत्व लेह लीजिये जो मुख्य आधार है। आपको यह भी हो सकता है कि सब बातें बिना साक्ष्य के बेमानी प्रतीत होती हो। सही भी है बिना चमत्कार के मनुष्य का मन नमस्कार भी नही करता, यदि हम मनुष्यों के सामने ईश्वर आ भी जाये तो भी हमारा मन मानता नही जब तक हमे उनसे मांगने पे कुछ प्राप्त नही हो जाता। तीर्थ स्थान पे जाने वाले भक्त जब ईश्वर के समक्ष हाँथ जोड़ प्रार्थना कर कुछ मांगता है तो...