मुझे तेरी बहुत जरुरत है
तुम्हारी अनुपस्थिति में बच्चे भी कितने बदमाश हो गये हैं। छुट्टियों का बहाना बना कर देर रात तक टीवी देखते रहते हैं। और कुछ कहने पर मुंह फूला लेते हैं। तुम कुछ कहते क्यों नहीं इन्हें..?? अच्छा सुनो, तुम्हें याद है उस दिन जब झुमका मेरे बालों में उलझ गया था तो तुमने उसे कितने प्यार से सुलझाया था। बाहर मौसम भी बड़ा सुहाना हो रहा। एक तो हल्की-हल्की बारिश यहां हमेशा ही होते रहती हैं।ऊपर से अब तो गुलाबी ठंडक भी शुरू हो गई है। ऐसे में अगर तुम यहां होते तो मैं तुम्हारे लिए गरमागरम कांदा भज्जी तल देती और फिर हम-दोनों साथ मिल कर खाते। ऐसे मौसम में भज्जी खाने का अपना ही मजा है।मौसम खराब होने की वजह से घर के काम काज भी ठप पड़ गये हैं।घर में आटा खत्म हो गया था। और बच्चे भी बाहर जाने से आना कानी कर रहें।
वो तो भला हो बेचारे उस दुकानदार का जो सामान घर तक पहूचा देते हैं।वरना मौसम ने तो हमें भूखें रखने का पूरा इंतजाम कर लिया था। तुम्हारे बिना मन नहीं लगता है।अब आ भी जाओ। बच्चे भी बार बार पुछते रहते हैं।मां पापा कब वापस आ रहें हैं।
तुम्हारी अनुपस्थिति में बच्चे भी कितने बदमाश हो गये हैं। छुट्टियों का बहाना बना कर देर रात तक टीवी देखते रहते हैं। और कुछ कहने पर मुंह फूला लेते हैं। तुम कुछ कहते क्यों नहीं इन्हें..?? अच्छा सुनो, तुम्हें याद है उस दिन जब झुमका मेरे बालों में उलझ गया था तो तुमने उसे कितने प्यार से सुलझाया था। बाहर मौसम भी बड़ा सुहाना हो रहा। एक तो हल्की-हल्की बारिश यहां हमेशा ही होते रहती हैं।ऊपर से अब तो गुलाबी ठंडक भी शुरू हो गई है। ऐसे में अगर तुम यहां होते तो मैं तुम्हारे लिए गरमागरम कांदा भज्जी तल देती और फिर हम-दोनों साथ मिल कर खाते। ऐसे मौसम में भज्जी खाने का अपना ही मजा है।मौसम खराब होने की वजह से घर के काम काज भी ठप पड़ गये हैं।घर में आटा खत्म हो गया था। और बच्चे भी बाहर जाने से आना कानी कर रहें।
वो तो भला हो बेचारे उस दुकानदार का जो सामान घर तक पहूचा देते हैं।वरना मौसम ने तो...
वो तो भला हो बेचारे उस दुकानदार का जो सामान घर तक पहूचा देते हैं।वरना मौसम ने तो हमें भूखें रखने का पूरा इंतजाम कर लिया था। तुम्हारे बिना मन नहीं लगता है।अब आ भी जाओ। बच्चे भी बार बार पुछते रहते हैं।मां पापा कब वापस आ रहें हैं।
तुम्हारी अनुपस्थिति में बच्चे भी कितने बदमाश हो गये हैं। छुट्टियों का बहाना बना कर देर रात तक टीवी देखते रहते हैं। और कुछ कहने पर मुंह फूला लेते हैं। तुम कुछ कहते क्यों नहीं इन्हें..?? अच्छा सुनो, तुम्हें याद है उस दिन जब झुमका मेरे बालों में उलझ गया था तो तुमने उसे कितने प्यार से सुलझाया था। बाहर मौसम भी बड़ा सुहाना हो रहा। एक तो हल्की-हल्की बारिश यहां हमेशा ही होते रहती हैं।ऊपर से अब तो गुलाबी ठंडक भी शुरू हो गई है। ऐसे में अगर तुम यहां होते तो मैं तुम्हारे लिए गरमागरम कांदा भज्जी तल देती और फिर हम-दोनों साथ मिल कर खाते। ऐसे मौसम में भज्जी खाने का अपना ही मजा है।मौसम खराब होने की वजह से घर के काम काज भी ठप पड़ गये हैं।घर में आटा खत्म हो गया था। और बच्चे भी बाहर जाने से आना कानी कर रहें।
वो तो भला हो बेचारे उस दुकानदार का जो सामान घर तक पहूचा देते हैं।वरना मौसम ने तो...