तुम्हारे हाथों से।
अब पहले सा रूठने पर कोई
मनाने आता नहीं है मुझको ।
मैं खुद ही खुद को मनाने लगा हूं।
पहले गिरने पर संभाल लेता था कोई
अब मैं खुद ही संभलने लगा हुं ।
क्या बताऊं की मैं किस कदर टूट गया हूं।
सीसे सा अंदर से टुकड़े टुकड़े हो गया हूं।
काटो पे चल रहा हूं। रास्ते हैं गुम कहीं।
मंजिल का कभी तो कुछ पता नहीं।
सांसों में चुबन हैं। मन में तड़प हैं।
सुकून का तो कोई कहीं ठिकाना नहीं।
मुझको हर तरफ हर कहीं
बरबादीया ही नजर आ रही हैं ।
जहां देखूं जिधर देखूं मैं वहीं।
अब तेरी बेवफाई यो में मुझको चाहिए बस यहीं।
तेरे नाम की मौत हैं लिखी हैं तो वहीं सही।
मुझको ख्वाइश हैं मरने की
जीने की भी तो कोई वजह नहीं है रही
मैं तो बस यहीं चाहता हूं तुझसे अब।
तेरे नाम की मैं एक मशहूर मौत चाहता हूं।
एक बार नहीं ये किस्सा मैं रोज़ चाहता हूं।
पर रखना तुम मेरी मौत को गुमनाम।
वरना इश्क के सहर भर में हो जाओगे बदनाम।
एक बार तू मिले तो जाने क्या होती हैं मोहबत
तू मिले तो जाने मैं तुझको कितना चाहता हूं।
तौहफे में तुमसे हमेशा दर्द ही मिला।
अब रास आती नहीं हैं मुझको वो खुशियां।
वो जन्नते सारी।
मेरे इश्क की कहानी में मैं तुम्हारे हाथों
ही अब आग में जलना चाहता हूं।
मैंने खोया सब कुछ ,,पाया कुछ भी तो नहीं।
इश्क के सफर में तुम्हारे साथ जो
हमेशा तन्हाइयो का साथ मिला हैं।
कहां अब मेरे होटों पे मुस्कुराहट का फूल खिलता है
मैं तुमसे अब दूर हों जाना चाहता हूं।
सफ़र बड़ा तकलीफो भरा रहा
मैं इस सफर को अब यहीं खत्म करना चाहता हूं।
किस्सा ये मेरी मोहब्बत का बार बार तुमसे कहूं।
मैं अपनी दिल के हर किस्से में टुकड़े हजार करूं।
मोहब्बत में मै में इस तरह फनाह हों जाऊं।
जिस तरह कोई तबाह होता नही है।
उस तरह मैं तबाह अब होना चाहता हूं ।
ना हो कहीं किसी कोने में खुशियों की सौगातें
ना हो कहीं भी खुशियों की ज़िंदगी में कोई बारिशे
मुझे मिले सिर्फ दर्द तकलीफे रुसवाई या।
मैं टूट के बिखरता रहूं तेरी यादों में
मै इस तरह तेरे गमों में उम्र भर के लिए
डूबा रहना चाहता हूं।
मुझे मौत मिले तो भी वो तेरे हाथों मिले।
मेरी जान जाए भी तो तेरे सीने से लगकर
तेरे ही पहलुओं में ही मेरी जान निकले ।
तुमसे मैं बस मेरे इश्क की इतनीसी खुशी चाहता हुं।
रंजीशे रचो तुम इस तरह की।
साजिशे ऐसी हो कोई तुम्हारी।
कि जो भी देखे उसकी ही ।
रूह अन्दर तक कांप उठे ।
बर्बाद तो तुमने कर ही दिया है।
मैं इस तरह तुम्हारे हाथों तबाह होना चाहता हूं ।
जब वार करो तुम पहला मुझ पर
मैं एक वार से तो मरूंगा नहीं।
करना तुम मुझ पर बार बार वार।
मै उफ्फ तक भी तुमसे कहुंगा नही।
निकल बहेगा खून मेरे जिस्म से।
सने होंगे तुम्हारे हाथ मेरे लहू से।
हर तरफ सनी हो मेरे ही ख़ून से सड़के।
किए गए हो मेरे दिल के हजारों टुकड़े।
करते रहना तुम वार मुझ पर
जब तक मुझसे मेरी जान ना निकले।
तुम्हारे हाथों से मैं
इस तरह मिट्टी में मिल जाना चाहता हूं।
कांपे नहीं तुम्हारे हाथ यू मेरा कत्ल करते वक्त
मेरे शरीर के हर हिस्से के टुकड़े तुम हजार करना
मैं फिर एक बार कहूं
मैं एक वार से तो मरूंगा नहीं
तुम वार मुझ पर बार बार वार करना।
मैं इस तरह तुम्हारे हाथों ए मेरे हमसफर
आज कत्ल ऐ आम होना चाहता हूं।
मेरी सिनाखत जो हो कभी इश्क की गलियों में
मेरे शरीर का एक एक कतरा भी तुमसे ना मिले।
मेरी सिनाख्त भी ना कर पाए कोई
मेरा इश्क धुआं धुआं बन के हवाओ में उड़े।
तुम आज खुद को रोको ना किसी तरह से
कर दो बेवफाई की सारी हदें पार तुम।
मिटा दो मेरा मुझसे हर वजूद।
कर दो मुझे मेरे जिस्म को तार तार तुम।
कोई पूछे तो बताना कोई लावारिश मारा गया हैं ।
इस तरह मेरे नाम को गुम रखना तुम।
बता सको तो बात देना किसी को भी
बता सको क्या है तुम में इतना दम।
मैं इस तरह मेरी , तुम्हारे
हाथों ऐसी गुमनाम मौत चाहता हूं।
एक बार नहीं ये किस्सा मैं रोज़ चाहता हूं।
हां मैं तुम्हारे नाम की मौत चाहता हूं।
💔
ख्वाइसो को अपने अन्दर समेटे
अपने सारे सपने अंदर दफनाएं।
अब मैं चल पड़ा हूं कहीं और।
इस जहां से उस जहां की और।
तेरी बेरुखियो ने कभी तेरी बेवफाईयो ने
मुझको इस कदर मारा हैं।
मैं रहा ना कहीं का भी।
मेरे इश्क में ऐसी क्या कमी थी।
जो इस कदर तुमने मुझको
जीते जी मौत के घाट उतारा है।
❣️
जो दिया वो खूब दिया तुमने।
बेशुमार दर्द, मुझको तनहा किया तुमने।
मैंने निभाई है इश्क कि हर रस्मे रिवाजे।
मगर इश्क के नाम पर खुब बेवफाई की है तुमने।
अब कुछ और तुमसे चाहिए नही मुझे।
मैने मांगा हैं तो बस सिर्फ तुमसे एक मौत।
वो भी तुम्हारे ही नाम की ।
हो सके तो मेरे हक़ की वफ़ा को
तुम ये इनाम देना।
इसके सिवा मैने और कोई
ख्वाईस नही की है तुमसे।
इसे समझना तुम आखिरी खत मेरा
इसके बाद कभी वजूद दिखेगा नही मेरा।
मैं तुम फिर मिलेंगे या नहीं
इस बात की खबर नहीं है मुझको।
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DATE 7/03/2024
TIME 10:30 PM
© KRISHAN MEENA