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अवध में आये, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र
श्रीराम - एक दो अक्षर का शब्द सिर्फ शब्द नहीं है, इस सृष्टि में संपूर्ण जीवो के जीवन का आधार है| आदिकाल से लेकर अनंतकाल तक, देवलोक से लेकर पृथ्वीलोक तक, आकाश से लेकर पाताल लोक तक, उनकी महिमा का वर्णन है| युगो युगो तक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपनी कर्तव्य परायणता के लिए जाने जाते रहेंगे| आज 5 सदियों की अविस्मरणीय प्रतीक्षा का अंत हो गया है| पूरे 500 वर्षों की अतुलनीय कार्य योजना और प्रयासों को धरातल पर लाने का समय आ चुका है| इस संपूर्ण सृष्टि में सूक्ष्म से लेकर विशाल जीव तक राम का नाम लेकर भाव विभोर हो रहे हैं| शुभ मुहूर्त की पावन बेला आते ही अयोध्या नगरी का दुल्हन के समान श्रंगार किया गया| चहुँ ओर वायुमंडल और अंबर हर्षोल्लास व उत्साह से परिपूर्ण है| पर इसका एक दूसरा पहलू और भी है| अयोध्या में मंदिर निर्माण होने से अयोध्यावासी आज अयोध्या के विकासशील होने की ओर अग्रसर है, पर हमारे देश की बड़ी विचित्र विडंबना है कि अयोध्या को छोड़कर देश के अन्य सभी जगह पर एक विशेष समुदाय के लोग ईर्ष्या की दृष्टि से देख रहे हैं| बात सिर्फ़ मंदिर निर्माण की नहीं है बल्कि इसकी वजह से कितने लोगों को रोजगार मिलेगा, अयोध्या नगरी का विकास संभव हो सकेगा| यद्यपि अयोध्यावासी इस बात से भलीभांति परिचित हैं| सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से अयोध्या वास्तव में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है| तथापि सबका अपना अलग-अलग दृष्टिकोण है और समझने वाली बात यह है कि जब स्थानीय लोग इस तथ्य को महत्वपूर्ण मानते हैं तो फिर गैर स्थानीय लोग क्यों इसे तुष्टिकरण और धर्मवाद की दृष्टि से देख रहे हैं| मैं तो कहता हूं कि अगर ऐसा संभव हो सके तो अधिकाधिक स्थानों पर मंदिरों, मस्जिदों, बौद्ध विहार, सांस्कृतिक एवं पर्यटन स्थलों का निर्माण कराया जाए| यही तो हम भारतीय की असली पहचान भी है| भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन ही एक आदर्श है क्यों ना हम भी उन्हीं के अनुरूप मर्यादा का पालन करते हुए उनके आदर्शो पर चलने का संकल्प लें और सबको अपनी मर्यादा में रहकर एक दूसरे का और उनकी भावनाओं का सम्मान करें |

|| जय श्री राम||