पृथ्वीराज की दानवीरता 🙂
( दोस्तों क्या आप जानते है महाराज दशरथ ओर पृथ्वीराज दो ही एकमात्र ऐसे योद्धा थे जो शब्दभेदी बाण विद्या को जानते थे। )
बात उस समय कि है जब राजकाज पृथ्वीराज चौहान ने संभाल रखा था। ओर प्रजा खुश थी। एक दिन वे नगर भ्रमण के लिए निकले ताकि सुनिश्चित कर सके कि उनके राज मे प्रजा को कोई परेशानी अथवा कष्ट ना हो।
अभी वो देख ही रहे थे कि सब कुछ ठीक था जैसे ही आगे की ओर बढ़े देखा एक गरीब सा बच्चा कीचड़ मे लतपथ आँखो पर पट्टी लपेटकर रस्सी के सहारे लटकी बोतलों पर एकदम स्टीक निशाना लगा रहा था । उसकी ऐसा निशाना देखकर राजा प्रसन्न हो जाते है ओर वापस चले आते है लेकिन राजा के दिमाग में अभी भी उसका ही ख्याल आ रहा था
तभी वो सोचते है अगर ऐसा तीरंदाजी मे कुशल योद्धा मेरी सेना में शामिल हो जाता है तो इससे अच्छा क्या होगा।ओर राजा पृथ्वीराज सेनिको को आदेश देते है कि उसे ढूंढकर लाओ।
सैनिको ने पड़ोस के राज्यो मे भी खोजबीन की लेकिन कोई फायदा नही हुआ ओर वो नहीं मिल सका । एकाएक राजा के मंत्री ने दासी के घर पर वो बच्चा देख लिया जो उनके महल के थोड़ी ही दुरी पर एक खंडहर सी जगह मे था। मंत्री भागकर दरबार मे राजा से कहता महाराज लड़का मिल गया है राजा बोलते है कहा मिला- इस पर मंत्री कहते है महाराज पास ही के खंडघर मे दासी के घर पर छोरा था ओर हमने इसको दूर दूर ढूंढा । तो कहा से मिलता हमारे सैनिको को। तभी महाराज खुश होते हुए कहते है कि उसे आदर सहित शाही दरबार मे ले आओ।
महाराज का आदेश मिलते ही मंत्री ने अपने सैनिकों के साथ उसे लाने के लिए चल दिया ।अगले ही पल वो महाराज के सामने था ओर महाराज उसको अपनी सेना मे रख लेते है और अगले दिन अपने राजमहल मे दावत रख देते है । ओर सेनिको को बोलते हे की पुरे राज्य मे खबर कर दो। सैनिक पुरे "गाँव में ढिंढोरा पीटते है सुनो सुनो कल राजा पृथ्वीराज चौहान ने दावत रखी है आप सब आमंत्रित है। !! समाप्त !!ओर दोस्तो यही से ये कहावत बनी है - "बगल मै छोरा,गाँव मे ढिंढोरा"।
तो जुडेरहे हमारे साथ हम करेंगे सभी कहावतो का पर्दाफाश।😂😂😁😁🤣🤣🤣😀😀🙈🙈
© Praveen_sikar
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