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रानी
पृथ्वी बहुत छोटी जगह नहीं है ।मेरा गांव "कलामपुर" पूर्वी भारत के बंगाल राज्य के दूर कोने में स्थित था। यह बहुत ही छोटा गांव था। मेरे गांव से मेरी जड़े बहुत गहराई से जुड़ी हैं और आज भी मेरे रोम रोम में मेरा गांव बसा है।
मेरे गांव में ऊंची जाति के हिंदू रहते थे और हमारा परिवार गांव में ज़मीदार था और पूरे गांव वालों से लगान वसूलता था।
मुस्लिम, जो धर्म बदलकर मुसलमान बने थे ।पहले नीची जाति के हिंदू थे ।वह ऊंची जाति के लिए नौकर का काम करते थे ।उन्हें रहने के लिए एक झील के किनारे की जगह दी गई थी। वह सब वही अपनी बस्ती में रहते थे ।कवि की कल्पना से भी खूबसूरत थी है ।उसका नाम "सतमुखी" झील था। यह एक छिछले पानी की झील बन गई थी जो बारिश और बाढ़ के पानी से भर जाती थी।
यह कहानी 'रानी 'की है ।जो 'मुकुंद मांझी' मछुआरे की बेटी है ।वह एक बड़े व्यक्तित्व नहीं है, परंतु उसकी कहानी हमारे गांव की एक बड़ी कहानी है ,जो एक धैर्यऔर निर्भीकता का उदाहरण है।
'रानी'किसी जलपरी से ज्यादा सुंदर थी और सभी उसे पसंद करते थे। मैं भी 7 साल की उम्र में उसे पसंद करने लगा था ,परंतु मुझे ज्यादा ज्ञान नहीं था पर उसके नेतृत्व की गुणवत्ता और उसके जंगल में पेड़ पर चढ़ने की आदते मुझे पसंद थी। वह सारी लड़कियों से अलग थी ।वह एक निर्भीक लड़के जैसी थी ।वह पेड़ पर बिल्ली की तरह चढ़ जाती थी और बहुत तेज दौड़ती थी। मैं और वह बहुत समय तक साथ खेलते थे।
'रानी 'ने कम उम्र में ही अपनी मां को खो दिया था और अपने पिता के साथी के रूप में बड़ी हुई थी। वह एक जिम्मेदार बेटी थी परंतु उसकी शिक्षा नहीं हो पाई थी।
एक बार मैं और मेरे चचेरे भाई और कुछ रिश्तेदार आए हुए थे ।हम सबने पक्षी के शिकार का कार्यक्रम बनाया ।मेरा चचेरा भाई 'अमृत' जो कि एक कुशाग्र बुद्धि था, वह कोलकाता...