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[Helpful in the change of life.] अरविंद घोष,रमण महर्षि,स्वामी विवेकानंद, परख÷
किसी महान व्यक्तित्व को समझने के लिए, विवेक युक्त होना चाहिए; यदि विवेक से रहित हो तब थोड़ा विनम्र होना चाहिए।
या आरोपित विचारों के संग्रह से मुक्त होना चाहिए।

असिद्धांतिक विचारों को आरोपित कहते हैं। जब किसी सहयोग से वो हमारी बुद्धि में प्रवेश करते हैं; तब हमारा विवेक समाप्त होकर अहंकार बचता है और हम महान सिद्धांतों का निर्देश करने में प्रयुक्त उनके व्यक्तित्व को नहीं समझते हैं।

हमारे साथ क्या हुआ; यह जरूरी नहीं; हमें क्या करना चाहिए? यह आवश्यक है।

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@kamal