औरत:-, story of women
"औरत"
इसका महत्व तो सभी जानते हैं।ऐसा तो कोई भी नहीं जो औरत अर्थात माँ की भूमिका से वंचित है।
सृष्टि की रचना औरत से है और विनाश भी।
औरत दुर्गा है तो काली भी है।देवी के अनेक रूपों के साथ स्त्री भी खुद में अनेक रूपों को समाए हुए होती है।
एक रूप में न जाने कितने किरदार लिए होती है।एक औरत पहले बेटी ,बहु ,माँ उसके बाद न जाने कितने रिश्ते के साथ खुद को सँजोये हुए रहती है।...
इसका महत्व तो सभी जानते हैं।ऐसा तो कोई भी नहीं जो औरत अर्थात माँ की भूमिका से वंचित है।
सृष्टि की रचना औरत से है और विनाश भी।
औरत दुर्गा है तो काली भी है।देवी के अनेक रूपों के साथ स्त्री भी खुद में अनेक रूपों को समाए हुए होती है।
एक रूप में न जाने कितने किरदार लिए होती है।एक औरत पहले बेटी ,बहु ,माँ उसके बाद न जाने कितने रिश्ते के साथ खुद को सँजोये हुए रहती है।...