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जाखू मन्दिर
23 दिसम्बर 2019 को हम हवाई अड्डे पहुँच चुके थे देहरादून के लिए वहाँ मेरा मायका है। सीधी फ्लाइट न थी इसलिए गुजरात से होकर जाना पड़ा। रात 8 बजे प्रेमनगर पहुँच गए। सबसे मिले फिर दूसरे दिन हमने सोचा क्यों ना शिमला कुल्लू मनाली चला जाए। बर्फबारी का आनन्द भी उठाएँगे। और हनुमान जी के जाखू मन्दिर भी जाएँगे। दूसरे दिन एक कार किराए पर ली और ड्राइवर के साथ शिमला की ओर रवाना हो गए।

हम 10 बजे शिमला पहुँचे। सब ने होटल में, मिले हुए 2 रूम लिए सामान रखा, फ्रेश हुए फिर खाना खाया और सो गए। शाम ठण्डी हो जाती है पर जमने वाली नहीं जैसे पहले होती थी। पहाड़ पेड़ विहीन, पशु-पक्षी, और पत्थर विहीन उदास थे। रात को ठण्ड हो जाती थी।
सुबह 8 बजे निकल पड़े जाखू मन्दिर बड़ा ही प्रसिद्ध हनुमान जी मन्दिर। मन्दिर बहुत ऊपर था। सड़कें घुमावदार और संकरी थीं।बर्फ के कारण चिकनी भी थीं। मन्दिर के नीचे पहाड़ी तक पहुँच गए। वहाँ से अपनी कार नहीं ले जा सकते थे उनकी टैक्सियों पर ही जाना था बड़ा ही संकरा रास्ता था घबराहट और रोमांच दोनों थे। 2 किलोमीटर के बाद जाखू मन्दिर नज़र आने लगा। टैक्सी ने उतार दिया। प्रसाद लेकर चलने लगे तो दुकानदार कहने लगा चश्मा, मोबाइल और पर्स सम्भालकर रख लो बन्दर छीन लेते हैं।
खैर हमने चश्मा, मोबाइल और पर्स सम्भालकर रख लिया। ज्यों पहली सीढ़ी चढ़ी एक बन्दर आकर (धीरज मिनोचा) दामाद की जेब टटोलने लगा कारण प्रसाद वहीं रखा था धीरज ने। बन्दर निकालने में और धीरज बचाने में मशक्क़त करने लगे। धीरज जीत गए। ढेरों बन्दर हैं पर किसी ने कभी भी किसी को नहीं काटा।
रास्ते में कसोली, पंजाब में होते हुए शाम को मन्दिरों और पोंटा साहिब के दर्शन करते हुए रात को देहरादून घर पहुँचे।

वैष्णो खत्री वेदिका जबलपुर ( मध्यप्रदेश ) ©सर्वाधिकार सुरक्षित।