कब छंटेगा य़ह कोहरा
सफ़ेद कोहरे की चादर में लिपटा ये गार्डन निहार रहा हो जैसे ख़ामोशी से और याद कर रहा हो उस चहलकदमी और उन आवाज़ों को जिन्हें चुपचाप सुना करते थे य़ह वृक्षों के तने फूल पौधे और सभी पत्ते। वो हँसी ठिठोली और कुछ बुज़ुर्गों की बातें,वो रौनक और...