...

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true😌😌
सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर...

सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर ग़ैर से ग़ाफ़िल हूँ मैं;
हाय क्या अच्छी कही ज़ालिम हूँ मैं जाहिल हूँ मैं;

है मेरी ज़िल्लत ही कुछ मेरी शराफ़त की दलील;
जिस की ग़फ़लत को मलक रोते हैं वो ग़ाफ़िल हूँ मैं;

बज़्म-ए-हस्ती अपनी आराइश पे तू नाज़ाँ न हो;
तू तो इक तस्वीर है महफ़िल की और महफ़िल हूँ मैं;

ढूँढता फिरता हूँ ऐ 'इक़बाल' अपने आप को;
आप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं।