...

16 views

inferrioty complex
विवाह क्या है? उलझन या नियम
रीति या प्रीत या फिर नये रिश्ते का संगम

सबकी अपनी अलग राय अलग सोंच

आइये इस रिश्ते पर थोड़ा सा विचार करते हैं
और आज के वक़्त में जिन परस्थितियों से विवाह के उपरान्त वैवाहिक रिश्तों का जो हाल है
सामाजिक दृष्टिकोण से भी बिल्कुल अनुकूल नहीं है,,,प्रेम विवाह हो या फिर जातिगत विवाह

आज विवाह में स्थिरता क्यों नहीं ?
आज आप देखिए विवाह के उपरांत छोटी छोटी बातों पे तलाक हो रहे हैं,,
शिक्षा हावी है या शिक्षा का अभाव ?

निष्कर्ष क्या है ? वजह क्या है?
उच्चशिक्षा या जिम्मेदारी या सहनशीलता में कमी ?

मेरी एक दोस्त है डॉक्टर है पति इंजीनियर है
उनके बीच नोक झोंक होती है ये हिस्सा है जिंदगी का ,,,,उसके मन में विचार आया कि मैं तंग आ गयी न मेरी कोई सुनता नहीं

एक तो मेरी माँ भी नहीं
किस्से कहूँ अपनी व्यथा
मैंने कहा अपने पति से कहो ,,,तुमने शादी अपनी मर्ज़ी से की है love marrige की है
love तो होगा ही तुम्हारे लिए उनके भीतर

मैं दोस्त हूँ अच्छी सलाह दे सकता हूँ जिम्मेदारी तो तुम्हे निभानी है ,,तुम्हें किसी चीज़ की कमी होने देते हैं क्या ? तो नहीं

प्यार से बात नहीं करते क्या ? तो हाँ
रोज ही ऐसा चलता है क्या ? तो नहीं

तो फिर तुम अपनी समस्या उनसे कहो
अपने जॉब से उन्हें जब भी वक़्त मिलता है तुम्हें बाहर साथ लेकर घूमने जाते हैं

तुम अब पत्नी हो प्रेमिका नहीं पहले जिम्मेदारी नहीं थी अब है

अब एक बच्चा भी है जो छोटा है और जिसका भविष्य तुम दोनों की mutual coordination पे निर्भर करता है

ये सलाह मैंने एक दोस्त की तरह दिया
उसने भी माना और आज नज़रिया उसका बदला है

सच्चाई ये है कि आज सबको आदत हो गयी है western culture की जो आज हमारे सनातन धर्म की वैवाहिक परम्परा और रिवाज को आहत कर रही है

सबमें inferiority complex( कम-तरी का भाव) का बीज डाल दिया गया है
जो अमेरिका में शादी को लेकर जो प्रचलन है
जो विदेशों में उनकी अभिशापित रिवाज है

वो हम भारतीय क्यों अपनाये संस्कृति भारत की उच्च है सर्वश्रेष्ठ है
आज बड़े शहरों में live in का trend है जो हमारा culture है ही नहीं तो हम इसको adopt क्यों करें ।

भारतीय कानून भी इसे मान्यता दे रही है
आज बॉलीवुड की फिल्मों में यही तो प्रदर्शित किया जा रहा है ,,की नग्न और अश्लीलता जो हमारे समाज के लिए गंदगी है
इस चलचित्रों के द्वारा किशोरावस्था के बच्चों के मन मे आरोपित किया जा रहा है
की शादी का मतलब सिर्फ शारीरिक आवश्यक्ताओ की पूर्ति है और इस रिश्ते का अन्य कोई वर्चस्व नहीं स्त्री को उपभोग की वस्तु दिखाया जा रहा है ,,,

हमारी संस्कृति को पश्चिमी संस्कृति के जोड़कर दिखाया जा रहा है और आज नवयुवकों के मन मे वासना और गंदे विचारों को आरोपित किया जा रहा है

भारत की पहचान ही चरित्र निर्माण है उसका हनन करके आज नवयुगता वादी लोग अंग्रजो की शिक्षा पद्धति को उच्च बताकर ,,हमारी सनातन संस्कृति का अपमान कर रहे हैं और जिंदगी के सुखों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं
संस्कृति परमपरा ये चीज़े ही समाज को मुख्यधारा से जोड़ती है
सबमें विवेक है बुद्धि है अपनी सुचिता पे निर्भर करता है ,,क्या उचित है और क्या अनुचित
अंग्रेजो ने जबतक हमारे देश पे शासन कीया लेकिन वो यहाँ की संस्कृति को हिला नहीं पाये

जब उनका प्रयास विफल रहा तो उन्होंने शिक्षा नीति का विस्तार की और हमारे धर्म गर्न्थो और संस्कृति पे हमला किया ,,सभी विदेशी आक्रमणकारियों ने किया मुगल हो डच हो या ब्रिटीश ,,,एकता पे हमला किया

अपनी शिक्षा हम पर लाद गए और आज हम उसी का अनुसरण कर रहे हैं
गीता ब्रिटीश पढ़ रहे हैं और हम शेक्सपियर की कहानियां जिसमे वासना है वात्सल्य नहीं

वस्त्रों से चरित्र की पहचान नहीं होती लेकिन एक स्त्री के लिए वस्त्रों का चयन ही उसकी गरिमा और संस्कृति का निर्माण करती है

ये भारत है ये वीरांगनाओं की धरती है
विवाह जैसे पवित्र बंधन पे हमें दूसरे पश्चिमी देशों की तरफ देखने की आवश्यकता नहीं है
हमारे पूर्वजों जो शिक्षा हमें दी है उसका अनुसरण करके हम अपनी संस्कृति और वैवाहिक जीवन को व्यवस्थित कर सकते हैं

देश की प्रगति के लिए आद्योगिक क्रांति के लिए
अगर हमें teacnical skills को upgrade करने के लिए बाहर देखना पढ़े या उस देश की विज्ञान को adopt करना पड़े तो जरूर इस पर अमल करें
ये रोजगार और देश की भौतिक प्रगति के लिए आवश्यक है ,सस्कृति से खिलवाड़ न करें

भारत देश नहीं है एक परिवार है
जिसमे संस्कृति और आचरण की महत्वपूर्ण भूमिका है।

मेरा एक व्यक्तिगत विचार है जो मैंने आपके सामने रखी
हो सकता है कुछ लोग मुझसे सहमत न हो ।


© 𝓴𝓾𝓵𝓭𝓮𝓮𝓹 𝓡𝓪𝓽𝓱𝓸𝓻𝓮