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प्रेम से प्रेम तक
आज तलाश करूंगी प्रेम और बांध दूंगी उसे एक पालि में फिर देखूंगी इसके तीक्ष्ण प्रचंड प्रहार । हमेशा नेपथ्य से ही देखा और सुना है इसके बारे में लेकिन आज निष्कर्ष तक पहुंच अपनी इस तलब को शीतलता प्रदान करूंगी । यही आश लिए निकल पड़ी में आज घर से । जहां भी कोई मिला उससे एक ही सवाल प्रेम क्या है ?

शाम जब घर लौटी हजारों जवाब आपस में विग्रह कर रहे थें । कवि के लिए उसकी कविताएं , नज़्म , शेर , ग़ज़ल प्रेम है मूर्तिकार , कलाकार के लिए रंग , बच्चे के लिए खिलौने और माली के लिए पेड़ - पौधे , उसका बाग -बगीचा प्रेम है । संगीतकार के लिए गीत , भक्त के लिए भगवान प्रेम है।

यानी जो इंसान जिस कार्य में संलग्न है वह उसके लिए प्रेम है । अब द्वंद...