घास का तिनका
🌾🌾घास का तिनका🌾🌾
ज्यूहिं घास तिनका सीता ने उठाया
यह देख रावण ने माँ जगदम्बे का
उपहास उड़ाया,, हे त्रिलोक सुंदरी ये
तिनके से क्यों धमकाती हो,,
मूर्ख जो था वह लंकेश,,
उस छोटे से घास तिनके का महत्व समझ ना पाया,,
🌻🌻
जगत जननी को हर के लाया खुद ही
खुद पे काल का डेरा गिराया,, जग के
मालिक के स्वामी के आगे कोई चाल
उसका चल ना पाया ,, भूल गया था वो
अज्ञानी जिस ममता मयी मां को अशोक वाटिका में था बैठाया,,
वो कोई आम स्त्री नहीं ,, थी वो जगत पति
की प्राण प्रिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
रोई, रोई मन्दोदरी करत अरज भारी,,
रोष अवगुण को आपन दूर करहू लंकधारी,,,,,
मन्दोदरी का कहा ना माना,, सीता माँ का अस्तित्व नहीं पहचाना,,,
हो गया विध्वंश लंका स्वर्ण का कारण था बस
रावण का अभिमाना,,,जाकर एकबार
झुक जाता, करुणा निधान की करुणा पाता,,, साथ में इतने निस्पाप सेनाओं का अर्थी नहीं जलता,,,नहीं किया वैदेही की समता का अंदाजा,,
🍂🍂
उसकेही अपराध ने उसके सारे अपनों का
क्षीण , भिन्न कर डाला,,,,,,,,,,,,,,,,,,
आईए एक घास के...
ज्यूहिं घास तिनका सीता ने उठाया
यह देख रावण ने माँ जगदम्बे का
उपहास उड़ाया,, हे त्रिलोक सुंदरी ये
तिनके से क्यों धमकाती हो,,
मूर्ख जो था वह लंकेश,,
उस छोटे से घास तिनके का महत्व समझ ना पाया,,
🌻🌻
जगत जननी को हर के लाया खुद ही
खुद पे काल का डेरा गिराया,, जग के
मालिक के स्वामी के आगे कोई चाल
उसका चल ना पाया ,, भूल गया था वो
अज्ञानी जिस ममता मयी मां को अशोक वाटिका में था बैठाया,,
वो कोई आम स्त्री नहीं ,, थी वो जगत पति
की प्राण प्रिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
रोई, रोई मन्दोदरी करत अरज भारी,,
रोष अवगुण को आपन दूर करहू लंकधारी,,,,,
मन्दोदरी का कहा ना माना,, सीता माँ का अस्तित्व नहीं पहचाना,,,
हो गया विध्वंश लंका स्वर्ण का कारण था बस
रावण का अभिमाना,,,जाकर एकबार
झुक जाता, करुणा निधान की करुणा पाता,,, साथ में इतने निस्पाप सेनाओं का अर्थी नहीं जलता,,,नहीं किया वैदेही की समता का अंदाजा,,
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उसकेही अपराध ने उसके सारे अपनों का
क्षीण , भिन्न कर डाला,,,,,,,,,,,,,,,,,,
आईए एक घास के...