मै अपराधी नहीं हूँ !!!! (pt-2)
मै भी उस शाम की राह देख रहा था.....
मै ना हमेशा बाबा पर ग़ुस्सा रहता था. रात अपने साथ एक सवाल लेके आती थी की काश बाबा नहीं होते तोह? लेकिन सुबाह इसका जवाब मिल जाता था. उनकी आदतों से चिड़कर मै कभी कभी बाबा पर चिल्लाता, अपनी आई पर चिल्लाता, बहन पर सब पर मै चिल्लाता. क्युकी वो दोनों बाबा को हमेशा सहन करते थे माफ़...
मै ना हमेशा बाबा पर ग़ुस्सा रहता था. रात अपने साथ एक सवाल लेके आती थी की काश बाबा नहीं होते तोह? लेकिन सुबाह इसका जवाब मिल जाता था. उनकी आदतों से चिड़कर मै कभी कभी बाबा पर चिल्लाता, अपनी आई पर चिल्लाता, बहन पर सब पर मै चिल्लाता. क्युकी वो दोनों बाबा को हमेशा सहन करते थे माफ़...