ठेस
© Nand Gopal #हिंदी साहित्य दर्पण
#शीर्षक ठेस
स्वरचित - नन्द गोपाल अग्निहोत्री
-----------------------
यूं तो रोजमर्रा की नोकझोंक आम बात थी,
लेकिन उस दिन तो अति ही हो गई ।
क्या यह तुम्हारा आखिरी फैसला है, बुझे मन से पूछा उसने ।
हाँ यह मेरा आखिरी फैसला है, और अधिक मैं नहीं झेल...