निस्वार्थ कर्म कीजिये, दिखावा नहीं ||
दोस्तों,
नि: स्वार्थ भाव से जितना हो उतना जरूरतमंद की मदद करना, सेवा करना हमारे संस्कारों की पहचान कराता है। तन, मन और वचन से दूसरे की...
नि: स्वार्थ भाव से जितना हो उतना जरूरतमंद की मदद करना, सेवा करना हमारे संस्कारों की पहचान कराता है। तन, मन और वचन से दूसरे की...