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श्रापित हवेली और प्यार
Chapter 5: अदृश्य इशारे

हवेली की रहस्यमय छाया में अनिका अब पूरी तरह से खो चुकी थी। डर और सच्चाई की तलाश के बीच उसके कदम अब और ठहरने को तैयार नहीं थे। पिछला अनुभव, जिसमें उसने आईनों की भयावहता का सामना किया था, अब उसे चेतावनी दे रहा था कि आगे की राह और भी खतरनाक होगी। हवेली के दूसरे तल की ओर बढ़ते हुए, उसने सीढ़ियों की चरमराहट को सुना, जैसे वे भी उसे वहाँ न जाने की सलाह दे रहे हों।

हवेली के दूसरे तल पर पहुँचते ही, अनिका को एक ठंडक का अहसास हुआ। दीवारों पर लगे पुराने चित्र जैसे उसके कदमों को ध्यान से देख रहे थे। हवेली का यह हिस्सा अब तक के हिस्सों से भी ज़्यादा खौफनाक था। हर कोने पर हवा की ध्वनि और फर्श पर धीमे-धीमे सरसराती आवाज़ें उसकी हिम्मत की परीक्षा ले रही थीं।

पिछले कमरे में मिली किताब और अवनी का पत्र उसके दिमाग में घूम रहा था। उसने ठान लिया था कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, वह इस श्राप का अंत करके रहेगी।

उसे एक लम्बा और अंधेरा गलियारा दिखाई दिया। दीवारों पर अजीबोगरीब छायाएँ दौड़ रही थीं। हवा का हर झोंका मानो किसी अदृश्य जीव की फुसफुसाहट जैसा लग रहा था।

गलियारे में पहला दरवाजा उसे थोड़ा खुला हुआ मिला। उसने दरवाजे को धक्का दिया, तो वहाँ एक छोटा-सा कमरा दिखाई दिया। कमरे की छत पर लटकता पुराना झूमर धीरे-धीरे हिल रहा था। कमरे के बीचों-बीच एक मेज रखी थी, जिस पर एक ताले में बंद छोटी सी डायरी रखी हुई थी।

डायरी को खोलने के लिए कोई चाबी नहीं थी। लेकिन...