कुछ हटके
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मैं प्रगतिवादी हूं। मैं इतना जानता हूं की मेरे इरादों से किसी का अहित नहीं होना चाहिए। समाज के नियम गुजरते दौर के अनुसार होने चाहिए। लेकिन मेरे जैसी सोच सब में तो हो नहीं सकती और मैं अकेले सबकुछ तो बदल नहीं सकता।फिर भी अपने और अपने साथ चलनेवालों को तो आगे लेकर बढ़ सकता हूं ना; इसी सोच के कारण मैंने अपनी बिटिया को समाज के प्रचलित नियमों से हटकर पाला। हालांकि मेरी खूब भर्त्सना हुई फिर भी मैं अड़ा रहा क्योंकि कोई गलत या असंविधानिक काम तो मैं कर नहीं रहा था। हां इतना जरूर था की बेटी को बेटे जैसा आत्मविश्वास देकर आगे बढ़ा रहा था।
जमाना बदलता है। रुत बदलती है।दिन रात में परिवर्तित होते हैं और हम लकीर के फ़कीर बन जीना चाहते हैं। यह सर्वथा अनुचित है।
मेरे दिए संस्कारों और बिटिया के मेहनत से मैं उस सम्माज से काफी आगे निकल चुका हूं जो हमारे पैरों में बेरिया डालना चाहते थे। आज मेरी बेटी बहुत सारी बेटियां का रोल माडल है।
इसलिए हाथ जोड़ कर सब से नम्र निवेदन है की हमेशा कुछ हट कर कीजिए मगर जो तर्कसंगत न्यायसंगत हो परंतु प्रगतिशील भी। समाज को हर दौर में जागरूकता की ज़रूरत महसूस हुई है एक विशाल वर्ग को आगे बढ़ाने में। समाज में अपना सही योगदान दीजिए और देश को आगे बढ़ाए।
© Anubhav
मैं प्रगतिवादी हूं। मैं इतना जानता हूं की मेरे इरादों से किसी का अहित नहीं होना चाहिए। समाज के नियम गुजरते दौर के अनुसार होने चाहिए। लेकिन मेरे जैसी सोच सब में तो हो नहीं सकती और मैं अकेले सबकुछ तो बदल नहीं सकता।फिर भी अपने और अपने साथ चलनेवालों को तो आगे लेकर बढ़ सकता हूं ना; इसी सोच के कारण मैंने अपनी बिटिया को समाज के प्रचलित नियमों से हटकर पाला। हालांकि मेरी खूब भर्त्सना हुई फिर भी मैं अड़ा रहा क्योंकि कोई गलत या असंविधानिक काम तो मैं कर नहीं रहा था। हां इतना जरूर था की बेटी को बेटे जैसा आत्मविश्वास देकर आगे बढ़ा रहा था।
जमाना बदलता है। रुत बदलती है।दिन रात में परिवर्तित होते हैं और हम लकीर के फ़कीर बन जीना चाहते हैं। यह सर्वथा अनुचित है।
मेरे दिए संस्कारों और बिटिया के मेहनत से मैं उस सम्माज से काफी आगे निकल चुका हूं जो हमारे पैरों में बेरिया डालना चाहते थे। आज मेरी बेटी बहुत सारी बेटियां का रोल माडल है।
इसलिए हाथ जोड़ कर सब से नम्र निवेदन है की हमेशा कुछ हट कर कीजिए मगर जो तर्कसंगत न्यायसंगत हो परंतु प्रगतिशील भी। समाज को हर दौर में जागरूकता की ज़रूरत महसूस हुई है एक विशाल वर्ग को आगे बढ़ाने में। समाज में अपना सही योगदान दीजिए और देश को आगे बढ़ाए।
© Anubhav
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