डायनासोर, हास्य-व्यंग्य- लघुकथा
हमने दुकान वाले से उत्सुकता से पूछा- " भैया एक जिंदा डायनोसोर देना ? "
वो बड़ी हैरानी से देकर बोला- अरे.., बुड़बक..का..बे पगला गये हो , या मुवी वुवी में जिंदा डायनोसोर देखकर, बहकी-बहकी बातें बताने लगे हो, कही हमरे दो रूपए का धंधा चोपट करने का.., इरादा तो नहीं हें...!
नाही.., भैया ऐसा कतई नहीं है, हमें तो सचमुच वाला वो आग उगलने वाला डायनोसोर चाहिए ।"
वो यह बात सुनकर आंखे से आंख मिलाकर जोर से बोला- " काहे.. बच्चों जैसी जिंदा लेकर बैठो हो ? अपने घर की एलसीडी तोड़कर तुरन्त निकाल दो ! ,
भैया... हमें तो एलसीडी भी तोड़ दि, पर साला वो जानकर फुदकर बाहर निकला ही नहीं, अंदर से तो गुब्बारे जैसा धुंवा धुंवा ही निकला, ओर हमरी ऐसी...
वो बड़ी हैरानी से देकर बोला- अरे.., बुड़बक..का..बे पगला गये हो , या मुवी वुवी में जिंदा डायनोसोर देखकर, बहकी-बहकी बातें बताने लगे हो, कही हमरे दो रूपए का धंधा चोपट करने का.., इरादा तो नहीं हें...!
नाही.., भैया ऐसा कतई नहीं है, हमें तो सचमुच वाला वो आग उगलने वाला डायनोसोर चाहिए ।"
वो यह बात सुनकर आंखे से आंख मिलाकर जोर से बोला- " काहे.. बच्चों जैसी जिंदा लेकर बैठो हो ? अपने घर की एलसीडी तोड़कर तुरन्त निकाल दो ! ,
भैया... हमें तो एलसीडी भी तोड़ दि, पर साला वो जानकर फुदकर बाहर निकला ही नहीं, अंदर से तो गुब्बारे जैसा धुंवा धुंवा ही निकला, ओर हमरी ऐसी...