3बजेकीडोरबेल
#3बजेकीडोरबेल
दरवाज़े पे दस्तख हुई इक जानी पहचानी आवाज़ ने रीना को झकझोर के रख दिया।
मन में रीना ने विचार किया कहीं ये कोई स्वप्न तो नहीं देख
रही।
लेकिन दस्तख बार बार हो रही थी।
इसलिये उसे विश्वास हो गया ये
कोई स्वप्न्न नहीं।
रीना के पिताजी का २०१३ में हुई केदारनाथ की घटना के बाद से कु छ अता पता न चला था।
उसे अक्सर अपने पिताजी के आने का इन्तज़ार रहता...
दरवाज़े पे दस्तख हुई इक जानी पहचानी आवाज़ ने रीना को झकझोर के रख दिया।
मन में रीना ने विचार किया कहीं ये कोई स्वप्न तो नहीं देख
रही।
लेकिन दस्तख बार बार हो रही थी।
इसलिये उसे विश्वास हो गया ये
कोई स्वप्न्न नहीं।
रीना के पिताजी का २०१३ में हुई केदारनाथ की घटना के बाद से कु छ अता पता न चला था।
उसे अक्सर अपने पिताजी के आने का इन्तज़ार रहता...