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मन....!
मन..!
इंसान का मन भी कितना चंचल होता है न। पर जितना यह चंचल होता है ये उतनीही मूर्खता वाली हरकते भी करता है। आपने महसूस किया होगा कि इससे पहले भी जिंदगी में कितने लोग आए और चले भी गए। चले जाने के कई कारण हो सकते है जैसे कि, किसीको हमसे बोहोत उम्मीदे थी, इतनी उम्मीदे की वही सारी उम्मीदेही हमपर पर बोझ होने लगी थी। या कभी कभी हमारा मन ही किसीसे ज्यादाहि उम्मीदे लगा लेते है। जब कि मन जानता है कि ज्यादा उम्मीदे हमेशा दर्द देती है । निढ़ाल होकर यह किसीके भी पीछे चल पड़ता है। और वह भी बिना कुछ सोचे या समझे। यह मूर्खता नही तो और क्या है ?
उम्मीदे..! जैसे कि हम चाहते हैं कि कोई हमसे प्यार करे, हमे टाइम से रिप्लाई करे, हमारे मेसज को इग्नोर न करे, जब 2 मिनिट का समय मिले तो वो कॉल करे, अपनी सारी प्रॉब्लम वो हमसे बांटे, हमसे ढेरसारी बातें करे ऐसे ही बोहोत कुछ...! पर पता नही काम क्यों किसीसे इतनी उम्मीद लगाते है? आखिर क्या वजह हो सकती है ? शायद मन डरते है कि जो भूतकाल हुआ कही वो फिरसे न दोहराया जाने। या फिर शायद मन सामने वाले शक्श को खोने से डरते है। नही मेरे ख़याल से अब मन फिरसे टूटना अफॉर्ड नही कर सकते। या मन शायद इस बात को समझता है कि इस बार बिखरे तो खुद को समेट नही सकेंगे। और शायद किसी कारण खुदको बोहोत बेबस और कमजोर महसूस करता है मन। जबकि मन जानता है कि हमारी ताकत हमारी कमजोरी मैं से ही उत्पन्न होती हैं।
कैसा है ना यह मन भी कभी चंचल है तो कभी मूर्ख है। कभी प्रेम से भरा है तो कभी बिल्कुल ही खाली है। कभी अकेलाही काफी है कभी काफी अकेला है। कभी दुनिया के लिए मिसाल है कभी न सुलझे ऐसा सवाल है। पता नही कैसा है। पर इतना जानती हूं मन कस्तूरी है...!
सोनाली अहिरे.
#kasturi_mann