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"खूनी सुबह"
#TheWritingProject
अरावली पर्वतमाला के मध्य बसे हुए एक छोटे से गांव, बूंदी ,में एक मधयवर्गीय परिवार में दामोदर अपनी पत्नी शामा और अपने दो बेटों सुनील व राम संग एक सुकून भरी जिंदगी व्यतीत किया करता था | दामोदर न केवल घर का मुखिया था बल्कि कभी अपने गांव का मुखिया हुआ करता था और आज भी गांव में उसका एक इज्जतदार और इमान से परिपूर्ण रूतबा था | इसका बड़ा बेटा सुनील पढने में बहुत होशियार था और उसकी पढाई में रूचि को देखते हुए दामोदर उसे विदेश में पढाई करने के लिए भेज देता है| जबकि वहीं दूसरी ओर उसका छोटा बेटा राम पढाई- लिखाई से दूर अपने असामाजिक दोस्तों और महिलाओं संग वक्त बिताने का शौकीन था | दामोदर के लाखों बार समझाने पर भी वह अपनी संगत बदलने और एक नेक इंसान बनने को राजी नहीं होता |दामोदर शामा को अक्सर शिकायत करता रहता है कि उसके लाड-प्यार ने ही राम को इतना बिगाड़ दिया कि अब वह किसी कि एक नहीं सुनता| शामा एक शालिन व धार्मिक औरत थी जो गांव की सभी औरतों से काफी मिल जुलकर रहा करती थी| पति के खेत में चले जाने के बाद वह अकसर अपना खाली समय आस पड़ोस की औरतों संग दरियां बुनकर,गीत गाकर,या मीठ्ठे पकवान बनाकर व्यतीत किया करती थी|
दामोदर जब एक रात राम को नशे में धुत देखता है तो वह उसे न केवल भली बूरी सुनाता है बल्कि घर से निकाल देता है| शामा रो- रोकर बार- बार दोनों से विनती करती रह जाती पंरतु न राम उसकी एक सुनता और न ही दामोदर |
लगभग एक माह बाद जब उसके पैसों की तंगी होने लगती है तो राम घर लौटता है और अपने पिता से माफी मांगकर अपनी गलतियां सुधारने का आखरी मौका मांगता है| दामोदर भी उसे माफ कर देता है और अपने संग खेत में काम पर ले जाने लगता है| राम भी पूरी लगन और मेहनत से सब काम करता है | घर में सब फिर सुकून और प्रेम से रहने लगते हैं |
एक सुबह दोमोदर किसी काम से दो दिन के लिए शहर जाने को घर निकता है| जाते -जाते वह राम को सब काम अच्छे से और जिम्मेदारी से संभालने करने की हिदायत देता जाता है|...