एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में शून्यनिका।।226
जब इस गाथा के हर काल से ग्रस्त हो गई होगी योनि तो उसका धर्म ,कर्म ,सत्व ,गुण, स्वभाव मूल्य ,समर्पण ,त्याग, बलिदान सबकुछ खंडित हो चुका है इसके वह त्री काल त्री स्तुति ग्रस्त होकर रोगिन योनि में प्रवेश कर कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी कहकर संबोधित होकर शून्यनिका संबोधित हो जाएगी , जिसमें शून्यनिका के किसी भी बोटि का पता लगाया जा पाना...