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वो रहस्यमई
सुबह जब मैं उठा तो वह वहां नहीं थी। मैं अपने दोस्तों के साथ कैंप शिकार खेलने गया था। जंगल में चलते चलते हम काफी दुर निकल आए थे। वापस जाने का रास्ता भी कहीं से दिख नहीं रहा था। अंधेरा भी होने लगा था और हमें प्यास भी लगी रही थी। परंतु हमें कहीं पीने योग्य जल दिख रही रहा था।पानी को ढूंढते ढूंढते बहुत देर हो चुकी थी मगर इस सुनसान जंगल में पानी का कहीं नामोनिशान तक नहीं था।हमारी प्यास इतनी तीव्र हो चुकी थी कि अब चलना फिरना लगभग मुश्किल लग रहा था।
फिर भी हमारा कोशिश जारी था इस उम्मीद में कि काश थोड़ा सा पानी मिल जाए ताकि हमारे प्राण बच जाए।इसी क्रम में हमनें एक पेड़ पर चढ़ कर देखा तो दूर जंगल के बीचों बीच हमें एक फुस का घर दिखाई दिया।वो कहते है ना कि डुबते को तिनका का सहारा। हमारे लिए इतना काफी था।भागते भागते वहां पहुंचे।
वहां पहुंच कर हमने देखा बरामदे में एक बकड़ी बंधी है और दूसरी तरफ मिट्टी के घड़े में पानी और वही सामने एक गिलास रखा है।तो हमने उत्सुकता वस घर वालों को आवाज लगाई ।
कोई है क्या हमें थोड़ा पानी दे दीजिए बहुत तेज प्यास लगी है।हम बहुत दूर से आए हैं और इस घने सुनसान जंगल में रास्ता भटक गये है।पर अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई।
हमें पहले तो थोड़ी हिचकिचाहट हुई और डर भी लग रहा था।मगर प्यास के आगे और कुछ ना सुझा।तो हमनें मटके से पानी निकल कर पी लिया।अब हमारे जान में जान आई। फिर वहीं पड़ी खटिया पर विश्राम के विचार से लेट गये।लेटते ही थकान के मारे हमें नींद आ गई और हम सो गए। हमारी नींद खुली एक लड़की के रोने से, हमने देखा बरामदे की बकरी गायब हो चुकी थी।
और किसी की रोने की आवाजें लगातार आ रही थी। बड़ी हिम्मत करके हम उस तरफ गये जहां से आवाज़ें आ रही थी।
वहां हमने देखा एक सोलह साल की नव विवाहिता कन्या दुल्हन के जोड़े में सजी धजी किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
उसके नजदीक जाना हमें ठीक नहीं लगा मगर उसकी मदद करना हमारा फ़र्ज़ है।इसी उद्देश्य से हम आगे बढे। हमारे एक दोस्त तो उसे देखते ही उस पे लड्डू हो गये थे। और उसके लिए कुछ भी करने को तैयार थे।हमने उस लड़की से पुछा आप क्यों रो रही है..? क्या हुआ हैं आपको...? क्या हम आपकी कुछ सहायता कर सकते हैं..?? और आप अकेले इस सुनसान जंगल में क्या कर रहीं हैं...?जब हम यहां आये तब तो यहां कोई नहीं था फिर आप अचानक यहां कैसे...??हमारे बहुत पुछने पर उसने हमें बताया हमारी कल की शादी हुई है और मेरा पति मुझे छोड़कर कहीं चला गया।उसी को ढूंढते ढूंढते जंगल में मैं दूर निकल गई थी।वापस आने पर रास्ता भटक गई तो घर तक आने में देर हो गई। किसी तरह समझा बुझा कर हमने उसे चुप करा कर सुला दिया।हमारे एक दोस्त हम से बार बार कह रहें थे।देखो मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है। मेरी मानों और चलों रातों रात हम यहां से निकल जाते हैं।पर हमने उसकी एक ना सुनी एक तो ये सुनसान जंगल ऊपर से ये एक अकेली लड़की हमारा क्या नुकसान करेंगी। बोल कर हमने उसे चुप करा दिया।अभी भी रात बाक़ी थी तो हमनें सोचा एक नींद और मार लेते हैं और देखते ही देखते खरांटे भरने लगें। सुबह जब मेरी नींद खुली तो मेरा दोस्त मेरे पास नहीं था।जब बिस्तर पर मैंने उसे तलाशा तो मेरे हाथों में उसकी एक कटी हुई उंगली मिली और मैं बहुत डर गया।मैंने बहुत ढूंढा उसे आवाजें भी लगाई जोर जोर से चीखा,चिल्लाया मग़र कोई फ़ायदा...!!
अब वहां कोई लड़की नहीं थी। सिर्फ खूटें से बंधी एक बकरी मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुरा रही थी। मैं अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागा अभी भी पुरी तरह से अंधेरा छटा नहीं था। थोड़ा आगे आने के बाद जब मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वहीं लड़की दुल्हन के कपड़ों में सजी धजी बेतहाशा भागती हुई मेरी तरफ़ आ रही थी थी और सुनिए सुनिए मुझे इस तरह अकेले छोड़ कर मत जाइए। मैं आपकी ब्याहता हूं। मुझे ये सज़ा मत दीजिए । आखिर मुझ से ऐसी क्या भूल हो गई। मुझे माफ कर दीजिए।कहते चीखते चिल्लाते मेरे पीछे आ रही थी।उसे देख कर तो जैसे मेरे प्राण सुखने लगे थे। वो मेरे दोस्त को भी खा गयी... और अब मेरे पीछे पड़ गई थी!! इतने में ही मेरी नींद खुली और मैं डर के मारे ज़मीन पे धराम से गिरा तब से लेकर आज तक मैं उस सपने को भुल ना सका कभी...!वो रहस्यमयी बकरी भुलाए नहीं भुलती....!!
किरण