...

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उसके जैसा कोई नही
उसके जैसा कोई नही
वही है सिर्फ
और कोई नही

आग लगा दे वो पानी मे भी
ऐसी माचिस और कहीं नही
देख के उसे हूर भी शर्मा जाए
इस दुनिया की तो वो लगती ही नही
उसके एक इशारे से दिल धड़कना बंद कर दे
मगर मेरी तरफ निगाहें तो वो करती ही नही

जल कर जो मर गया परवाना
इसमे शमा की तो कोई गलती नही
अपने महबूब के मौत की वजह खुद बनी शमा
इस अफसोस में वो जलती रही
फर्क है बस इतना है
एक जल कर खत्म हुआ
और एक उसके खत्म होने से जलती रही

ये ईश्क़ ऐसा ही है
दोनों सूरतों में
आशिको को जलना ही है
आग जो बुझ भी जाये जिस्म की तो क्या
दर्द सीने पर लगे ज़ख्मो का सहना ही है

फिर कहुंगा एक बार
और कहता रहूंगा बार बार
चाहे दर्द दिए हो उसने मुझे हर बार
उसके जैसा कोई नही

© Moyal