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ख़ुद से गुफ़्तगू कीजिये कभी….
हर पल, हर रोज़ कुछ नया होता है हमारे जीवन में, और होना भी चाहिये। यही तो हमारे जीवन में आगे बढ़ने की निशानी है, एक नई सोच पैदा होती है, अनेकों नई संभावनाओं के साथ। हर रोज़ हम कुछ करते हैं, जीवन निर्वाह करने के लिये, चाहे वह कोई नौकरी ही, व्यवसाय हो, या फिर जो काम आपकी पसंद का हो।

लोगों से मिलना, विचार विमर्श करना, हँसना, बोलना, खेलना, प्यार करना, ग़ुस्सा होना, कभी रूठ जाना, यो कभी रो जाना, इन प्रकार की अनेकों संवेदनायों का समावेश हमारे मन मस्तिष्क में होता रहता है, और हमारी विचारों से ही हमारे हर रोज़ के कर्म भी निर्धारित होते हैं। इन सब संभावनाओं के बीच कुछ हमारे ख़ुद के ऐसे भी विचार होते हैं, जो हम दूसरों से साँझा नहीं करते है, और इन विचारों को हम अकेले में ख़ुद से साँझा करते हैं, जब हम एकांत में होकर ख़ुद से गुफ़्तगू करते हैं।

ख़ुद से गुफ़्तगू करने का एक अलग ही अनुभव होता है, जब हमें अपनी हर समस्या का कोई ना कोई समाधान मिलता है। यह जो ख़ुद से बातचीत हम करते हैं, इसमें हर पहलू का हम ध्यान देते हैं, जहाँ हम ख़ुद के लिये एक निर्णय भी लेते हैं, जो की, ठीक भी है।

कभी अकेले में अगर आपने ख़ुद से बात नहीं की है अभी तक, तो एक बार आज़मा कर देखियेगा, आप ख़ुद के ही सलाहकार, और सबसे अच्छे दोस्त बन जायेंगे, जहाँ आपको विचार विमर्श के लिये किसी और की ज़रूरत नहीं होगी, बल्कि आप ख़ुद में ही सब कुछ पा जाएँगें। यह दोस्ती ख़ुद के साथ वाली ही, सबसे ख़ास, ताउम्र के लिए होगी….

© सुneel