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जितना बड़ा सच,उतना ही बड़ा झूठ!!
जब देवर जी ने भाभी जी को भैया के जंगली कारनामो के बारे में बताया तो भाभी जी का हृदय चूर चूर हो गया,और शबरी को मिलने उनके जुग्गी में जा पहुंची,
भाभी जी ने बाहर से आवाज लगाई कोई है,थोड़ी देर बाद
उसमें से एक अधेड़ उम्र की एक खूब सूरत सांवली औरत आई।और भाभी जी को देखकर उसके होश उड़ गए,
भाभी जी ने शबरी से पूंछा की भैया को तूने जुंठे बेर क्यों खिलाया?
शबरी ने
समझ लिया मामला गरम है,तो उसने
साफ साफ कहा
बहन जी आप को किसी ने भ्रमित किया है,क्योंकि जब वो यहां थे तो सीजन बेर की नहीं आम की थी,
इतना सुनकर भाभी जी को ख्याल आया कि बात तो सच है की सीजन ही नही थी ,लेकिन भाभी जी ने फिर पूछा जंगल में कोई पेड़ आम का है ही नहीं तो आम आया कहां से?
शबरी ने सत्य बोलने में ही अपनी भलाई समझी,
और बोली ,
बहन जी एक भाई उनके साथ थे जो उनकी सेवा करते थे
वो अकसर शाम को पास में ही एक बाजार से फल फ्रूट साग सब्जी लाते और मैं अपनी रसोई में बना देती,
भाभी जी ने पूरा माजरा समझ लिया और भैया समेत देवर का भी क्लास लिया ,
दोनो भाई अपनी अग्नि परीक्षा में फेल हुए ,
और भाभी जी सबकुछ त्याग कर अज्ञात वास में चली गई।।

नोट:- कहानी काल्पनिक है ,इसका किसी व्यक्ति या चरित्र से कोई संबंध नहीं है!!
बाकी आम कहां से कौन लाया आया,अभी तक इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है😊🙏


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