...

3 views

पिता की चार सीख।
इस कहानी में आप पढ़ेंगे की जब एक पिता अपने बेटे को अपना जीवन संभालने के लिए चार बातें सिखाता है, तो बेटा उन चार बातों का अर्थ क्या निकलता है? क्योंकि बाते सुनने में आसान थी, किंतु उनके अर्थ निकालना हर किसी के बस की बात नहीं और जब बेटे को कहानी के अंत में चारों बातों के सही अर्थ पता लगते हैं, तो उसे अहसास होता है की जिन बातों को वह अपने जीवन में आजमा रहा था। उनके अर्थ कितने गहरे हैं।

पिता की चार सीख

एक बार की बात है एक गांव में एक साहूकार रहता था। वह अपने व्यापार के क्षेत्र में काफी उन्नति कर चुका था। जिसके बदौलत उसके पास धन-संपत्ति किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी।

लेकिन एक बात उसे खाए जा रही थी की “मेरे मरने के बाद मेरा बेटा अपना जीवन कैसे संभालेगा”? क्योंकि उसका बेटा दिमाग से बिल्कुल नासमझ था। उसे बाहरी दुनिया की बिल्कुल भी समझ नहीं थी।

कुछ दिन बाद साहूकार का स्वस्थ खराब रहने लगा। अब उसे महसूस हो गया था की उसकी मृत्यु किसी भी क्षण हो सकती हैं। तब उसने अपने नासमझ बेटे को बुलाया और उसे अपना जीवन संभालने के लिए चार बाते सीखाई।

पहली सीख – बेटा जब भी “काम पर जाए तो छावं में जाना और छावं में ही घर वापस आना”।

दुसरी सीख – “घर के चारों तरफ चमड़ी की बाड़ (चमड़ी की बाउंड्री) करवाना”।

तीसरी सीख – “हमेशा मीठा भोजन करना”।

चौथी सीख – “पत्नी को हमेशा बांध कर पिटना”।

बेटे को चार बातें सीखाते ही साहूकार जी स्वर्ग सिधार गए। अब बेटे ने अपने पिता की चार बातें अपने जहन में बैठाई और एक नई जिंदगी की शुरुआत करने लगा। जब उसका काम धंधे पर जाने का समय आया तो उसे अपने पिता की बात याद आई की पिता ने कहा था। कभी भी काम पर जाए तो तो “छांव (छाया) में जाना और छांव में ही वापस आना”। चूंकि पैसों की कमी थी नहीं इसलिए उसने यह बात याद करके अपने घर से ऑफिस तक एक बहूत बड़ा टेंट लगवा दिया ताकि धूप से बच सके।

पिता की ही बात याद करके अपने “घर के चारों तरफ भैंस की चमड़ी की बाउंड्री बनवा दी”। जिसकी बदबू से आस-पड़ोसी दुखी होने लगे लेकिन पिता की बात तो माननी होगी। प्रतिदिन अपनी घरवाली से भोजन में केवल मीठी चीज बनवाता जैसे हलवा-खीर आदि।

एक दिन उसकी पत्नी ने अनजाने में कोई गलती कर दी, तो पत्नी पर उसका गुस्सा इतना भड़का की वह उसे मारने पर उतारू हो गया। लेकिन उसे फिर अपने पिता की बात याद आई कि “पत्नी को हमेशा बांध कर पीटना” यह बात याद करके उसने अपनी पत्नी को रस्सी से बांध दिया और जैसे ही उसे पीटने के लिए लाठी उठाई।

पत्नी ने गुस्से में कहां “रुक जा नासमझ अब मैं बताती हूं तुम्हारे पिता की चार बातों के सही अर्थ क्या है”? तब उसकी पत्नी उसके पिता की चारो बातों के सही अर्थ समझाना शुरू करती है।

पहली बात – “काम पर छावं में जाना और छांव में ही आना” इसका अर्थ है प्रतिदिन काम पर सूर्योदय होने से पहले जाना और सूर्यास्त होने के बाद घर वापस आना ताकि अपने काम में इतने व्यस्त हो जाओ की बाहरी दुनिया के मोह माया से दूर रह सको। लेकिन तुमने तो घर से ऑफिस तक टैंट लगवा दिया ताकि तुम धूप से बच सको। क्या ये उद्देश्य था तुम्हारे पिता जी का?
दूसरी बात- “घर के चारों तरफ चमड़ी की बाड़ (चमड़ी की बाउंड्री) करवाना” इसका मतलब है अपने घर की सुरक्षा के लिए कुत्ता या बिल्ली पालना ताकि चोरों से सुरक्षित रहा जा सके। लेकिन तुमने तो घर के चारों तरफ भैंस की चमड़ी लगवा दी जो कि अर्थहीन है।
तीसरी बात- “हमेशा मीठा भोजन करना” इसका अर्थ है हमेशा भूख तेज लगने पर ही भोजन करना इससे एक सूखी रोटी भी मीठे भोजन समान संतुष्टि देगी। जब किसी को बहुत तेज भूख लगती है तो वह यह कहकर भोजन का अपमान नहीं करता की ये तुमने क्या बना दिया। भला ये भी कोई खाता है। यह तुच्छ लोगों के काम होते है, और तुम प्रतिदिन मुझसे मीठा भोजन बनवाते हो जो मनुष्य को गंभीर बीमारी की ओर ले जाता है।

चौथी बात- “पत्नी को हमेशा बांध कर पीटना” इसका अर्थ जानते हो इसका मतलब है की पत्नी को केवल तब पीटना जब उसके कोई औलाद हो जाए क्योंकि औलाद होने से एक स्त्री रिश्तों में बंध जाती है। जब तक किसी स्त्री के औलाद नहीं है तब तक वह स्वतंत्र है। अगर उसकी आजादी छीनने की कोशिश करोगें तो वह अपने स्वतंत्र मन से कही भी उड़ सकती है।
jai sri ram