...

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मोहब्बत की कुछ अनकही बातें
मैंने हर वो कोशिश कर के देख ली , केशव !
खुद को तुम्हारे सामने बेहतर बनाने की......
परिणाम तो ये आया कि तुम्हारे चक्कर में मैंने खुद को ही मिटा दिया , तुम्हारे लिए.......
फिर भी तुम्हारी न बन सकी , एक बार भी तुमने मुझे नोटिस ही नही किया।

तुम्हारे गुस्से में हर बार , केशव !
मैं हार जाती हूं, क्या करूं मेरा प्यार ही मुझे तुम्हारे खिलाफ़ नही करता

तुमसे दूर होना चाहती हूं, पर ख्याल तुम्हारी यादें मिटाने नही देता ,
तुम्हारे बर्ताव को सोच कर एक बार मुंह भी मोड़ लिया हमने पर केशव !
तुम्हारा जिक्र कही न कही से तारीफ बना लिया जाता है।

मैं खुद को बाहर से कितना भी कठोर बना लू
पर
ये इंतजार , ये चाहत भीतर ही भीतर मुझे तुम्हारे और भी करीब ले जाता हैं।

"अब तो तुम्हे देखे, सुने अर्शो हो गए फिर भी ये मन तुम्हारी जासूसी मे लगा रहता है।
तुम्हारी प्रतिदिन की खबरें सजोए ये एहसास करता है कि कभी...... की कभी तुम्हारा खत केवल मेरे लिए आएगा.......।"

: कवित्री, इस एहसास को विश्वास का दीपक बनाए संजोई हुई है

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@theA8436


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