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प्रॉमिता-2
इधर प्रवीण के अंदर जाते ही उसके मामा जी आते है और अपनी बहन से कहते है ये लो बहना तु ने बेसन की लड्डू लाने को कहा था न। प्रवीण की माँ कहती है हाँ अच्छा किया अब जल्दी चलो बारात का इंतज़ार कर रहे होंगे लड़कीवाले। प्रवीण की माँ बहुत खुश थी अपनी बहु को घर लाने के लिए। इधर मामाजी प्रवीण को बुलाने आते है। उसे तैयार होता देख मामाजी मजाक करते हुए कहते है, क्यों दूल्हे राजा क्या हाल है, मन में तो बेसन के लड्डू फूट रहे होंगे। प्रवीण कहता है क्या मामाजी आप अभी से शुरू हो गए। मामाजी तुरंत अपना अंदाज़ बदलते हुए कहते है अच्छा बाबा जल्दी चलो बरना देर हो जाएगी। लोग बारात के लिए प्रस्थान करते हैं।


इधर लड़की वाले बारात आगमन की तैयारी कर रहे होते है। वही सब अपने कामों मे व्यस्थ थे। पता ही है शादी के घर में कितने काम काज होते है। सौम्या (दुल्हन) अपने कमरे के खिड़की के पास बैठी उस खूबसूरत चाँद को निहार रही थी। जो पुनम की रात्रि में और भी ज्यादा चमक रहा था। वो उस चाँद को देख मन मे कई सपने सजा रही थी। हवा की हल्की हल्की वैयार उसे उसके सपने मे अलग ही एहसास करा रहा था। वो सोच रही...