Divine talks
इसको यहाँ रहने का कोई हक़ नहीं है
देखो तो कितनी भयानक है यह
तोड़ दो इसकी कुटिया सब मिलकर
कोई नहीं बचाएगा इसका घर
ऐसा क्या हो गया है नौजवान
मुझे भी तो बताओ तुम इसमें
तुम कौन हो ..यहाँ बोलने वाले
अरे मेरा ही तो घर है..बुढ़िया जिसमे
अच्छा तो तुम हो इसके लड़के
हाँ अब बोल भी दो क्यों ऐसा
बस अब बोला नहीं ..तोडा जाएगा
कर लो में भी देख लूँ वैसा
और देखो तो ..तोड़ भी दिया
अब वो कहाँ रहेगी नहीं पता
अरे माई अभी देखती जाओ
क्या की है इन्होने खता
सबने मिलकर तोड़ ही दी
तोड़ दी है मेरी कुटिया यहाँ
अब क्या होगा मेरा छोड़ दो
अरे जहाँ में वहां सपूर्ण जहाँ
कुछ ही शब्द किन्तु काफी भारी
जब उस बूढी माई ने मुझसे कहा
मेरे लिए इस से बड़ा आघात कुछ नहीं
यह बात काफी दुखी होकर सहा
नगर दृष्टि से कुटिया काफी पुरानी और खंजर
तोड़ने का मक़सद शानो शौकत की बात
पर यह कुकर्म सबसे बुरा मेरी दृष्टि में
उसने छीन ली मेरी सच्ची रात
अंत में मैं स्वयं कारीगर बन बैठा पूर्ण
मेहनत करके बना दी फिर से
बनाकर दी वही कुटिया उसी जगह मैंने
तोड़ने वाले...गुस्सा होकर मुझे देखते रहे
अरे रुको तो सही माई
अभी तो देखती जाओ
वही खिलखिलाती सी मुस्कान
क्या फिर से तोड़ोगे ...आओ
नहीं जाएंगे द्वारिका सब बताने
वही करेंगे सब पाप का हिसाब
उसको भी बुला लो ..क्या करेगा
में भी तो देखूं ..उसका किरदार
चार सेनापति एक के बाद एक कर
एक भी नहीं जीत पाया..
काफी वीर थे यह सच है
पर यहाँ उन्हें समय खिंच लाया
फिर आये एक विश्वरूपी इंसान
काफी नाम सुना था उनका
हलधर नाम से रुतबा था
कितना अच्छा रूप था इनका
किया नमस्कार उस असाधारण मनुष्य को
तो तुम हो वो पुत्र जिसकी बात है
हाँ ...एक असभ्य तुच्छ छोटा सा
अब शायद आ गयी मेरी मात है
फिर भी में आपके राजा से मिलना चाहूंगा
ऐसा गलत राजा पैदा ही कैसे हो आया
सजा से पहले मिला दो.. तो हम दोनों का अच्छा
बस इतना ही उस समय बोल पाया
हर तरफ उसकी खोज शुरू हुई
पर राजा तो मिलना ही न था
वो तो कारीगर बना बैठा इधर
अब क्या हो..हाहाकार हर तरफ था
तुम काफी अच्छा नाट्य कर लेते हो
आप ही से सीखा ओ बड़े भैया
अब उस माई के दो पुत्र थे एकदम
और यही है कृष्णा की नैय्या
देखो तो कितनी भयानक है यह
तोड़ दो इसकी कुटिया सब मिलकर
कोई नहीं बचाएगा इसका घर
ऐसा क्या हो गया है नौजवान
मुझे भी तो बताओ तुम इसमें
तुम कौन हो ..यहाँ बोलने वाले
अरे मेरा ही तो घर है..बुढ़िया जिसमे
अच्छा तो तुम हो इसके लड़के
हाँ अब बोल भी दो क्यों ऐसा
बस अब बोला नहीं ..तोडा जाएगा
कर लो में भी देख लूँ वैसा
और देखो तो ..तोड़ भी दिया
अब वो कहाँ रहेगी नहीं पता
अरे माई अभी देखती जाओ
क्या की है इन्होने खता
सबने मिलकर तोड़ ही दी
तोड़ दी है मेरी कुटिया यहाँ
अब क्या होगा मेरा छोड़ दो
अरे जहाँ में वहां सपूर्ण जहाँ
कुछ ही शब्द किन्तु काफी भारी
जब उस बूढी माई ने मुझसे कहा
मेरे लिए इस से बड़ा आघात कुछ नहीं
यह बात काफी दुखी होकर सहा
नगर दृष्टि से कुटिया काफी पुरानी और खंजर
तोड़ने का मक़सद शानो शौकत की बात
पर यह कुकर्म सबसे बुरा मेरी दृष्टि में
उसने छीन ली मेरी सच्ची रात
अंत में मैं स्वयं कारीगर बन बैठा पूर्ण
मेहनत करके बना दी फिर से
बनाकर दी वही कुटिया उसी जगह मैंने
तोड़ने वाले...गुस्सा होकर मुझे देखते रहे
अरे रुको तो सही माई
अभी तो देखती जाओ
वही खिलखिलाती सी मुस्कान
क्या फिर से तोड़ोगे ...आओ
नहीं जाएंगे द्वारिका सब बताने
वही करेंगे सब पाप का हिसाब
उसको भी बुला लो ..क्या करेगा
में भी तो देखूं ..उसका किरदार
चार सेनापति एक के बाद एक कर
एक भी नहीं जीत पाया..
काफी वीर थे यह सच है
पर यहाँ उन्हें समय खिंच लाया
फिर आये एक विश्वरूपी इंसान
काफी नाम सुना था उनका
हलधर नाम से रुतबा था
कितना अच्छा रूप था इनका
किया नमस्कार उस असाधारण मनुष्य को
तो तुम हो वो पुत्र जिसकी बात है
हाँ ...एक असभ्य तुच्छ छोटा सा
अब शायद आ गयी मेरी मात है
फिर भी में आपके राजा से मिलना चाहूंगा
ऐसा गलत राजा पैदा ही कैसे हो आया
सजा से पहले मिला दो.. तो हम दोनों का अच्छा
बस इतना ही उस समय बोल पाया
हर तरफ उसकी खोज शुरू हुई
पर राजा तो मिलना ही न था
वो तो कारीगर बना बैठा इधर
अब क्या हो..हाहाकार हर तरफ था
तुम काफी अच्छा नाट्य कर लेते हो
आप ही से सीखा ओ बड़े भैया
अब उस माई के दो पुत्र थे एकदम
और यही है कृष्णा की नैय्या