नारी बनी पहेली
मैं अपने पाठकों के समक्ष समाज में जो लोग एक स्त्री के बारे में जो सोच रखते हैं उसी को अपने लेख के माध्यम से बता रही हूं
आज के समय में भी इतना विकसित और शिक्षित होने के बावजूद भी मनुष्य गलत सोच का आधी हो गया है
आज के समय में भी एक स्त्री को कोई नहीं समझता है ना समझना चाहता है
एक नारी के साथ ये सब उसके जन्म से ही शुरू हो जाता है
पहले तो उसके मां- बाप जिन्हें बेटी नहीं बेटा चाहिए
ऐसा लगता है जैसे जागरूकता शिक्षित होना किताबों तक ही सीमित बनकर रह गया है व्यक्ति की सोच अभी भी नहीं बदली है
आज भी समाज में बेटी होने पर स्त्री को परेशान...
आज के समय में भी इतना विकसित और शिक्षित होने के बावजूद भी मनुष्य गलत सोच का आधी हो गया है
आज के समय में भी एक स्त्री को कोई नहीं समझता है ना समझना चाहता है
एक नारी के साथ ये सब उसके जन्म से ही शुरू हो जाता है
पहले तो उसके मां- बाप जिन्हें बेटी नहीं बेटा चाहिए
ऐसा लगता है जैसे जागरूकता शिक्षित होना किताबों तक ही सीमित बनकर रह गया है व्यक्ति की सोच अभी भी नहीं बदली है
आज भी समाज में बेटी होने पर स्त्री को परेशान...