...

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हैलो,कौन...
शिवानी ने कॉफी हाऊस में कोने की सीट पर बैठ कर कॉफी का ऑर्डर दिया और फोन देखने लगी । दो दिन बात दशहरा था। एक नए नंबर से मैसेज आया,दशहरा मुबारक हो । शिवानी हैरां हो गई ये कौन है,मैं तो जानती ही नहीं,मैं जवाब नहीं दूँगी । तभी कॉफी आ गई और वो इत्मिनान से कॉफी पीने लगी । तभी उसी नंबर से एक और मेसेज आया।
मैं राज..याद आया।
अगर नहीं याद तो फोन करना। शिवानी सोचने लगी कौन राज ? उसने सोचा क्यूँ न फोन ही किया जाए।और कांपते हाथों से उसने नंबर मिलाया । काफ़ी देर तक घंटी बजती रही। तभी,उधर से आवाज़ आई।
हैलो...
शिवानी की दिल की धड़कन तेज़ हो गई।
हैलो कौन?
आप कौन ? शिवानी की आवाज़ कांप रही थी।
मैं राज, और आप?
मैं शिवानी ।
ओह , शिवानी कैसी हो ?
कितने साल बाद तुम्हारी आवाज़ सुनी है ।याद है केमिस्ट्री लैब में तुम्हारी और मेरी शर्त लगी थी।जो जीतता उसको चॉकलेट मिलनी थी।मैं जान कर शर्त हार गया था।
वो चॉकलेट मेरी तरफ़ से उधार है।
याद है न तुमको ।
शिवानी चुप रही ।
शिवानी याद है मैने एक बार तुम्हें फिल्म देखने के लिए बुलाया था,पर तुमने माना कर दिया था क्यूँ शिवानी।
शिवानी चुप रही ।
तुमने अपनी बर्थडे पार्टी में बुलाया था पर मैं किसी वजह से नहीं आ पाया था।क्या तुम उस बात से नाराज़ हो,बोलो न।
शिवानी चुप रही ।
याद है फिर हम यूनिवर्सिटी में मिले थे,जब मैं पी. एच. डी .कर रहा था। फिर कैन्टीन में मैंनें चाय के लिए कहा था पर तुम बात ताल गई थी ।क्यूं शिवानी।
शिवानी चुप रही।
मैं अब अमेरिका से आया तो स्वाति से तुम्हारा नंबर मिला।
तुम मिलना चाहोगी क्या मुझसे ?
शिवानी चुप रही ।
बोलो शिवानी,तुम चुप क्यूँ हो
तुम कुछ नहीं कहोगी
शिवानी चुप रही ।