रिश्ता या अपनापन......
रिश्ता ही एक नायाब तोहफ़ा है जो दिलों को जोड़ता है, चाहे कोई नाम हो या ना हो। पर दिल से निभाया गया रिश्ता, हमेशा कायम व ता-उम्र साथ देता है।
कुछ रिश्तों को निभाना मजबूरी होती है, तो कुछ अपने आप नदी की धार सा बहते सुकूँ देता है।
मजबूरी में आकर ख़ुदको तकलीफ़ से नवाज़ते हैं, पर हमें उसकी इल्म नहीं होती, जब तक हम उस बचाव की ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए अपने आप को ख़ाक़ में मिला देते हैं।...
कुछ रिश्तों को निभाना मजबूरी होती है, तो कुछ अपने आप नदी की धार सा बहते सुकूँ देता है।
मजबूरी में आकर ख़ुदको तकलीफ़ से नवाज़ते हैं, पर हमें उसकी इल्म नहीं होती, जब तक हम उस बचाव की ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए अपने आप को ख़ाक़ में मिला देते हैं।...