...

4 views

प्यारी गलतियां
अपनी ही गलतियां ढूंढने में,कितना सुकून मिलता है।
तारीफ़ में वो मिठास नही,जो गलतियों के एहसास में है।
अपनी गलतियों को ढूंढ पाना,उसी तरह है जैसे किसी पुराने खिलौने को पाना।जो हमारी ही गलतियों से टूटा है,
जो हमे सबसे प्रिय था जिसके बगैर रहना असंभव था।फिर यह सोचना की अगर,मैंने इसकी अच्छी देखभाल की होती तो यह सलामत होता,पर आज वह वैसा नही है जैसा पहले था,उसे वैसे नही दिखा सकते जैसा पहले दिखा सकते थे,पर हमारी तमाम गलतियों के बावजूद,आज उसका...