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ये कैसा इश्क़


कितने अजीब है हम लोग प्यार को समझ नही पाते और प्यार की परिभाषा बनाने बैठ जाते है।
कोई कहता है कि प्यार तो ऐसा होना चाहिए कि जान देदो।
तो कोई कहता है कि प्यार तो तब सफल है जब तुम उसी से शादी करो जिससे तुम प्यार करते हो।
और आजकल तो प्यार के मायने ही बदल गए है प्यार के नाम पर बस होटल का कमरा रह गया है तुम होटल का कमरा बुक करवा लेते हो तो प्यार सच्चा नही तो सब झूठ।
क्या सच मे यही रह गयी है प्यार की परिभाषा
मतलब अब प्यार को साबित करने के लिए जिस्मों का मिलना अहमियत रखता है।
ये कैसा प्यार है जहां एक दूसरे की खुशी मायने नही रखती, सुख दुःख में साथ निभाने नही होता, एक दूसरे को समझना जरूरी नही रह गया है। अगर यही प्यार है तो मैं यही कहूँगा की मुझे न तो प्यार हुआ है न ऐसा प्यार करना है।
जहां हम यह भी न देख सके कि हमारे साथी को किस बात का दुःख है उससे सहारे की ज़रूरत है उस प्यार का क्या फायदा।
VAIBHAV RASHMI VERMA
© merelafzonse
#shortstory