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संस्कृति.......!!
जीवन के अर्थ पूर्ण मूल्यों से निर्मित संस्कृति और संस्कार होते हैं, जो हमारे जीवन को बेहतरीन बनाने में मदत करते है, परन्तु इनमें समय के साथ बदलाव जरूरी होता है.।।
संस्कृति सदियों तक इसलिए जीवित रहती है, क्योंकि इनमें परिवर्तनशीलता का गुण होता है.,,
दूसरों के जीवन में शामिल होना और दूसरों को अपने जीवन में शामिल करना ही संस्कृति है,
भारतीय संस्कृति सदियों से कहती आ रही है कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु सम्पति है और यह परम सत्य है ।।
भारतीय होने के नाते रक्त उतना नहीं है जितना संस्कृति है,और
संस्कृति की चाहे कोई भी परिभाषा क्यों न हो, किन्तु उसे व्यक्ति, समूह अथवा राष्ट्र की सीमाओं में बाँधना हम मानवों की सबसे बड़ी भूल है ।।
फिर,
पुस्तकें ही वे साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच एक पुल निर्मित कर नए युग का निर्माण करते हैं,,
मेरे लिये कोई भी कार्य इतना आनंददायक नहीं है, जितनी की पृथ्वी की संस्कृति,
और बगीचे की तुलना में आ सकने वाली कोई संस्कृति "
हमारी संस्कृति हमारे लिए सर्वोपरी है,।।