...

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गुलाब
गुलाब

शहर से दूर विशाल पार्क में
बैठे थे, सिर्फ "हम दोनों"
वो टिक- टिक वाले पेन से मेरी डायरी में
कुछ लिख रही थी , मन्द मन्द हवा से
उसकी जुल्फों के कुछ बाल
बार-बार उसके कान से होते हुए
उसकी आंखो के आगे आकर
उसे परेशान कर रहे थे
आज उसने मेरी पसंद का
काला सूट पहना था इसलिए
मै सिर्फ उसे देखने में मग्न था
ये देखो! मैंने बनाया है "गुलाब"
अचानक ध्वनि से मेरी तंद्रा टूटी,
हां ! बहुत ख़ूबसूरत है, तुम्हारी तरह
मैंने मजाकिया अंदाज में कहा!
इन फूलों में महक नहीं है लेकिन
जब मै चली जाऊंगी तो ये बहुत महकेंगे
और अगर तुम लेटकर भी पढ़ोगे तो गिरेंगे नहीं
वहीं रहेंगे जहां मैने बनाएं है
उसने मुझे चिढ़ाते हुए कहा!
उसके हाथ से पेन छीनते हुए
मैंने हल्के गुस्से से प्रतिउतर दिया
शुभ -शुभ बोलो
सुबह-सुबह की बात
अक्सर सच हो जाती है
मैने सुना था, किसी से!
तुम कहीं नहीं जाने वाली,
आज पता चला उस सुबह की बात
सच में सच हो गई
और जब भी मै अक्सर लेटकर
उसके बनाए हुए गुलाब को देखता हूं
आज भी वो गुलाब वहीं के वहीं है
वास्तव में बहुत महकता है वो गुलाब
© aashurj31